-द वायर, दिल्ली हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना-2020 के ड्राफ्ट को 22 भाषाओं में अनुवाद करने के अदालत के निर्देश का विरोध किया है. केंद्र सरकार की ओर से मंत्रालय ने दावा किया कि ऐसा करने के लिए किसी कानून की मंजूरी प्राप्त नहीं है और इसके चलते आगामी विधि निर्माण में भी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. केंद्र की ओर से कहा...
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बेदम होती स्वास्थ्य व्यवस्था : कोविड-19 संकट में तपेदिक के सबक
-कारवां, {1} दिसंबर 2019 में डॉ. आनंदे वुहान से आने वाली खबरों पर व्याकुलता के साथ नजरें जमाए हुए थे. चीन के शहरों में सार्स जैसा एक रहस्यमय वायरस फैल रहा था. उस समय अपने डॉक्टर मित्रों के साथ होने वाली चर्चा को याद करते हुए आनंदे ने मुझे बताया, “मैंने सुना कि वह वायुजनित बीमारी थी. हम सुन रहे थे कि रोगियों में खांसी, बुखार आदि जैसे ही लक्षण हैं.” आनंदे की...
More »क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?
-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...
More »भारतीय अर्थव्यवस्था के-शेप्ड रिकवरी की तरफ बढ़ रही है, ऐसा होना भारत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा
-द प्रिंट, जैसे ही यह खबर आई कि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से सिकुड़ रही अर्थव्यवस्था बन गई है, चारों तरफ से तरह-तरह की टिप्पणियां आने लगीं. इन टिप्पणियों में सबसे गौरतलब यह थी कि भारत की आर्थिक वृद्धि की क्षमता 6 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत की हो गई है. कुछ अरसे से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत को कोविड-19 के...
More »एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे
एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...
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