नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा हासिल करने के इच्छुक गरीब छात्रों के लिए एक बड़ी राहत दी है। सरकार ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह ऐसे छात्रों के लिए एजूकेशन लोन पर ब्याज सब्सिडी योजना लागू करें। इस बारे में सभी कामर्शियल बैंकों के प्रमुखों को मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने पत्र लिखा है। इसमें बैंकों से कहा गया है कि वे इस योजना को लागू करने के लिए...
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सांसद निधि फंसी है कई अजूबों और पेंच में
पटना राज्य के ज्यादातर सांसदों ने अपने कर्तव्यों की केंचुल उतार लोकहित की अपनी जिम्मेदारियां स्थानीय प्रशासन के जिम्मे छोड़ दी है। लिहाजा कहीं सांसद निधि की राशि विमुक्त न हो सकी, तो कहीं जमीन पर उसका कोई उपयोग नदारद है। लगता है कि पहले की तरह वायदों को जमीन पर उतारने की नहीं , कुछ और वायदे करते जाना, सांसदों का राजनीतिक शगल हो गया है। जनता यह खेल देखते रहने को अभिशप्त है।...
More »राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम बनेगा हकीकत
नई दिल्ली। धनाभाव के कारण उच्च शिक्षा से वंचित मेधावी छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए 'राष्ट्रीय शिक्षा वित्त निगम' की स्थापना के प्रस्ताव को योजना आयोग का सहयोग हासिल हो गया है और अब इस विषय पर वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा की जानी है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए सस्ती ऋण सुविधा प्रदान करने के संबंध में 'राष्ट्रीय शिक्षा...
More »वर्ष 2020 तक शत-प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य
नई दिल्ली। उच्च शिक्षा में छात्रों की नामांकन दर में वृद्धि को एक बड़ी चुनौती करार देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने बुधवार को कहा कि 2020 तक शत-प्रतिशत साक्षरता दर हासिल करना और नामांकन दर को बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने की प्रतिबद्धता को अमलीजामा पहनाने के लिए एकजुटता से काम करने और भारी निवेश की जरूरत है। इस उद्देश्य के लिए स्कोप के तत्वावधान में सार्वजनिक क्षेत्र की कपंनियों [पीएसयू] के...
More »गरीबी के कारण छोड़ देते हैं 21 फीसदी बच्चे पढ़ाई
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तमाम दावों व वादों के प्रचार-प्रसार से देश में पढ़ाई-लिखाई की तस्वीर भले ही आकर्षक लगने लगी हो, लेकिन जमीनी हकीकत ज्यादा नहीं बदली है। आलम यह है कि सरकार चाहकर भी सभी बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करने में नाकाम रही है। तमाम दावों के बीच देश के 21 प्रतिशत बच्चों के बीच में पढ़ाई छोड़ देने की मुख्य वजह अब भी उनकी गरीबी है। देश में पढ़ाई...
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