- जनपथ, तीन किसान-विरोधी, लोक-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के निर्णय के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आज सुबह की घोषणा का स्वागत योग्य है और भारत के किसानों की एकजुटता की पहली बड़ी जीत है। कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर कर किसानों के संघर्ष ने देश में लोकतंत्र और भारत में संघीय राज्य व्यवस्था को बहाल किया है, हालांकि अब भी...
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भुगतान में देरी, कम मूल्य से परेशान यूपी की गोवंश सहभागिता योजना के किसान
-इंडियास्पेंड, उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने एक योजना शुरू की है। इसके तहत छुट्टा पशुओं को पालने वाले लोगों को सरकार प्रतिदिन रुपये 30 देती है, मतलब एक महीने का रुपये 900। हालांकि यह पैसा लोगों तक पहुंचने में छह महीने से एक साल से ज्यादा का वक्त लग रहा है। भुगतान की इस व्यवस्था से लोग खासे परेशान हैं। उन्नाव जिले के सराएं...
More »क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?
-डाउन टू अर्थ, जिस समय दुनिया वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने के लिए ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज के बैनर तले कॉप-26 में कार्बन बजट पर चर्चा करने में व्यस्त थी, ठीक उसी समय एक अन्य मोर्चे पर एक और महत्वपूर्ण बहस चल रही थी। इस बहस के केंद्र में था कि क्या हम प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं? यह बहस उस उपभोग...
More »डोभाल और रावत के हालिया बयानों में देश को पुलिसिया राज में तब्दील करने की मंशा छिपी है
-द वायर, सरकार के कदम जब शासन के संवैधानिक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होते हैं, तब आप क्या करते हैं? आप अपने हिसाब से एक नया सिद्धांत गढ़ लेते हैं. पिछले हफ्ते हमने देखा कि किस तरह से नरेंद्र मोदी सरकार के दो बड़े स्तंभ- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और डिफेंस स्टाफ प्रमुख जनरल बिपिन रावत- ने व्यापक राष्ट्रहित के नाम पर कानून के शासन के उल्लंघन को जायज ठहराने के...
More »महंगाई ले चुकी है स्थायी रूप , शहरी से ग्रामीण तक सभी प्रभावित
-रूरल वॉइस, मंहगाई देश में होने वाले पांच राज्यों मे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है क्योंकी रोजमर्रा के खर्च में मंहगाई अब हमारे जीवन हिस्सा ही बन गई है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उपभोक्ता मूल्य सूचकां (सीपीआई) या थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) किस तरह के आंकड़े पेश करते हैं। हकीकत यह है कि इस बार की मंहगाई की जड़े काफी गहरी हैं और ...
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