शशिकांत तिवारी, भोपाल। प्रदेश में 44 फीसदी बच्चे कुपोषण से नहीं उबर पा रहे हैं। जबकि इन्हें शासन द्वारा पोषण, इलाज समेत सारी सुविधाएं दी जा रही हैं। कई जिलों में तो ऐसे बच्चों की संख्या एक तिहाई तक पहुंच गई है। इस मामले में राजधानी की स्थिति तो और भी बुरी है। यहां पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) में भर्ती बच्चों में से 47 फीसदी ही कुपोषण को मात दे...
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सोच बदलने से बढ़ेगी साक्षरता- वरुण गांधी
वर्ष 2014 में देश में तीस करोड़ से ज्यादा बच्चे 6-17 के आयुवर्ग के थे। देश में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की संख्या क्रमशः 1,191,719 और 233,845 हैं, जबकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा सकल पंजीकरण अनुपात क्रमशः 73.6 और 49.1 है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में तो यह अनुपात महज 21.1 फीसदी है। वहीं प्राथमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा में हमारा शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात क्रमशः 28 और 40...
More »बिहार--- केंद्र ने नहीं भेजा 49 लाख लोगों का आवंटन : रजक
पटना : खाद्य सुरक्षा के तहत बिहार के 49 लाख लोगों के लिए केंद्र सरकार ने आवंटन नहीं भेजा है. अब सरकार की समस्या इतनी बड़ी आबादी को अनाज उपलब्ध कराने की है. सरकार ने इन सबको राशन कार्ड उपलब्ध करा दिया है. विधानसभा में गुरुवार को केंद्र से आवंटन को लेकर हंगामा हुआ. खाद्य उपभोक्ता मंत्री श्याम रजक ने कहा कि केंद्र सरकार अनाज का आवंटन नहीं कर रही. वहीं,...
More »दो अतियों के बीच स्वास्थ्य सेवा- अतुल गवांडे
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर अतुल गवांडे, जो एक सर्जन होने के साथ-साथ लेखक, विचारक और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं, ने बीबीसी रीथ लेक्चर्स के तहत 2014 में चिकित्सा का भविष्य पर चार भाषण दिये. आज हम चौथा लेक्चर प्रकाशित कर रहे हैं, जो उन्होंने दिल्ली में दिया. इसका विषय था-‘द आइडिया ऑफ वेलबीइंग' (अच्छी सेहत की परिकल्पना). इसमें उन्होंने बताया कि एक तरफ लोगों की चिकित्सा तक...
More »इस अस्पताल में मरीज ही कर रहे खुद का इलाज
मुंबई। वडाला स्थित मुंबई के एकमात्र कुष्ठरोग अस्पताल में मरीज ही खुद का इलाज करने को मजबूर हैं। यह अक्वर्थ म्यूनिसिपल हॉस्पिटल फॉर लेप्रसी बीएमसी(वृहन मुंबई महानगर पालिका) द्वारा संचालित किया जा रहा है। डॉक्टरों द्वारा पर्याप्त ध्यान न दिए जाने से यह बदहाली की कगार पर पहुंच गया है। यहां समाज से बाहर किए गए कुष्ठ रोगी और कुछ अपने परिवार के साथ इलाज के लिए आए थे। लेकिन अब...
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