ज्यादातर देशों में एक ओर जहां राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए मुफ्तखोरी को हथियार बनाती हैं, वहीं इसी दुनिया में स्विटजरलैंड जैसा भी एक देश है, जहां की जनता ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया. दूसरी तरफ भारत में देखें तो राजनीतिक पार्टियां और सरकारें मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्तखोरी को बढ़ावा देनेवाली नीतियों को प्रश्रय देती रहती हैं भारत जैसे कल्याणकारी राज्य में सब्सिडी एक जरूरी...
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‘ढीले नियम से फल-फूल रही हैं शिक्षा की दुकानें’
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की समिति ने कहा है कि ‘ढीले और भ्रष्ट' व्यवस्था से निजी कॉलेज फल-फूल रहे हैं। जिनका शिक्षा से कोई लेना-देना नहीं है उन पैसेवाले प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में ये खराब ढांचावाले कॉलेज चल रहे हैं। समिति ने कहा है कि ‘शिक्षा की ऐसी दुकानों' पर पाबंदी लगाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। शिक्षा मंत्रालय की समिति ने नई शिक्षा नीति बनाने...
More »बुंदेलखंड: न चारा, न पानी, जानवर बेच रहे हैं किसान
सूखे से झुलस रहे बुंदेलखंड में स्थितियां और भयावह हो चली हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो वक्त की रोटी के लिए ग्रामीण अपने पशु बेच रहे हैं। पशुओं के खरीदार नहीं मिल रहे हैं, चारे पानी का जबरदस्त संकट है लिहाजा पशुपालक भारी मन से औने-पौने दामों में इनसे पीछा छुड़ा रहे हैं। कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोगों ने अपने...
More »एससी, एसटी को फ्री में ग्रेजुएशन में दाखिला देगा इग्नू
जयपुर। देशभर में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कोर्स कराने वाला इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) 2016-17 सत्र से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और आदिवासी वर्ग के छात्रों को बीए, बीकॉम, बीएससी सहित छह कोर्स में फ्री में एडमिशन देगा। इन छात्रों से सिर्फ परीक्षा शुल्क लिया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बाद इस संबंध में इग्नू ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। परीक्षा शुल्क...
More »लोगों को हुनर सिखाकर बदल सकते हैं समाज-- दशरथ सूर्यवंशी
बरसों से जलसंकट से जूझ रहे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल के उदगीर जिले के रावणकोल में पलते-बढ़ते समय एक अलग ही तरह का सामाजिक बदलाव मेरी नज़र में आया। जल-संकट के कारण उजड़ती खेती के साथ उजड़ते गांव। लोग आजीविका की तलाश में शहर चले जाते। परिवार बिखरते। ग्रामीण अर्थव्यवस्था, खेती और ग्रामीण व्यवस्था ही नहीं बदल रही है बल्कि सामाजिक मेल-जोल व एकजुटता खत्म हो रही है, क्योंकि घट...
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