सूखा क्या पड़ा, जैसे सहरिया परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। खेतों में कटाई कर उसमें गिरे-पड़े दानों को बीनकर और मेहनत-मजदूरी कर अपना जीवन-यापन करने वाला सहरिया समुदाय सूखे की जबरदस्त मार झेल रहा है। किसी ने खाने को दे दिया तो ठीक है, नहीं तो वह खाली पेट सोने को मजबूर हो जाते हैं। ग्राम पंचायत छपरट की सहरिया बस्ती के हालात यह हैं कि यहां के...
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गांवों में किफायती व गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूलिंग
यह बात वर्ष 2002 की है़ आइआइटी मद्रास से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर इनफोसिस में नौकरी कर रहे उमेश मल्होत्रा टीवी पर एक डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, जो ग्रामीण परिवेश में रहनेवाले बच्चों की शिक्षा से जुड़ा था़ तब उनके मन में एक विचार आया कि क्यों न ऐसे क्षेत्रों में लाइब्रेरी की शुरुआत की जाये, जिनमें बच्चे अपनी मर्जी से किताबें लेकर उन्हें पढ़ सकें. इस योजना पर...
More »वंचित रह जाते हैं 95% किसान, बंद करें धान खरीद-- पुष्यमित्र
आरा : करथ पंचायत भोजपुर जिले के तरारी ब्लॉक में स्थित है और इस इलाके को धान का कटोरा माना जाता है. यहां किसान एक एकड़ में 25 से 30 क्विंटल तक धान उपजा लेते हैं. पिछले खरीफ में भी धान की अच्छी पैदावार हुई. मगर तकरीबन 1500 किसानों के इस पंचायत में सिर्फ 66 किसान अपनी उपज पैक्सों को बेच पाये. यहां यह भी जानना रोचक होगा कि करथ...
More »सफल नहीं होती शराबबंदी-- आकार पटेल
मशहूर समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध की तरह ही शराबबंदी भी एक सांस्कृतिक कार्य है. श्रीनिवास के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के लिए जो भी औचित्य गिनाये जायें, लेकिन हकीकत में इसके पीछे ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी सोच है. हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ही दिन 24 नवंबर, 1948 को इन दोनों मुद्दों पर बहस की थी. मैं यहां यह तथ्य...
More »आरक्षण की आग में झुलसता समाज- नीरजा चौधरी
कृषक जातियों में बेचैनी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि खेती-किसानी अब मुनाफे का काम नहीं रही। उनके बच्चों के पास तकनीकी तालीम भी नहीं है, जिससे वे नए जमाने की नौकरियां पा सकें। ऐसे में राजनीतिक दांव-पेच उन्हें और अधीर कर रहे हैं। जाति-युद्ध की तरफ बढ़ती आग को रोकने के लिए फौरन कदम उठाए जाने चाहिए। हाल के घटनाक्रमों पर पेश है वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का विश्लेषण पिछले...
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