नर्मदा और टिहरी की जो वर्तमान त्रासदी है उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला उससे आधी सदी पूर्व ही गुजर चुका है. लेकिन इसका दुर्भाग्य कि नर्मदा, टिहरी के मुकाबले विनाश के कई गुना ज्यादा करीब होने के बावजूद यह आज कहीं मुद्दा ही नहीं है. शायद इसलिए कि सोनभद्र के पास कोई मेधा पाटकर या सुंदरलाल बहुगुणा नहीं हैं. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय. सोनभद्र को देखकर पहली नजर...
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गोपालगंज में चापाकलों में डाला जहर
हथुआ/बनियापुर : गोपालगंज जिले के फुलवरिया प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, माड़ीपुर के तीन चापाकलों में जहर डालने की सूचना मिलते ही सोमवार को पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी. चापाकल से पानी का रंग नीला निकलने के बाद तुरंत इसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गयी. मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने तीनों चापाकलों को सील कर दिया और पानी के सैंपल को जांच के लिए गोपालगंज भेजा गया है....
More »घट रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति ।। संजय कुमार सिन्हा ।।
विश्व की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उस अनुपात में खाद्य उत्पादन नहीं बढ़ा है. जंगलों के कटने और बेहिसाब औद्योगिकीकरण से धरती की जलवायु पर बुरा असर पड़ा है. आइसलैंड में हुए एक सम्मेलन में इन्हीं बिंदुओं पर विचार किया गया. पिछले दिनों (26-29 मई) को आइसलैंड की राजधानी रेईकजाविक में ‘मृदा कार्बन' पर एक सम्मेलन आयोजित किया गया. यह सम्मेलन कई मायनों में खास था. इसे आयोजित करवाने...
More »"मथुरा रेप केस के बाद बलात्कार संबंधी कानूनों को मजबूत किया गया."
प्रकाशन और कई किस्म के सामाजिक हस्तक्षेप के जरिए भारतीय स्त्री विमर्श को एक नई दिशा देने वाली उर्वशी बुटालिया को आज भारतीय नारीवाद की एक पुरजोर आवाज के तौर पर पहचाना जाता है. भारतीय महिला आंदोलनों के बिखराव और उनकी वर्तमान दिशा पर प्रियंका दुबे ने उर्वशी के साथ विस्तार से बातचीत की आप पिछले 45 वर्षों से भारतीय स्त्री विमर्श का हिस्सा रही हैं. इस दौरान हुए बदलावों...
More »नाम का मनरेगा!- शिरीष खरे(तहलका )
मनरेगा योजना को हाईटेक बनाने की जिद के चलते मध्य प्रदेश में पिछले तीन महीने से इस योजना का काम लगभग ठप पड़ा है और लाखों मजदूर फिर से पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं. शिरीष खरे की रिपोर्ट. राजधानी भोपाल के सीहोर रोड पर बन रही एक गगनचुंबी इमारत के नीचे कुछ मजदूर परिवारों ने ईंटों की अस्थायी चारदीवारी बना ली है. इन्हें अंदाजा है कि वे कुछ महीनों...
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