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जंगल से सीखें कुपोषण का इलाज- प्रताप सोमवंशी

ओडिशा देश के पिछड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य के आदिवासी इलाके अकाल, भुखमरी, कुपोषण के विशेषण को अपनी पहचान के साथ ढोते रहते हैं। इन्हीं आदिवासी इलाकों का एक दूसरा सच भी जान लीजिए- लिविंग फार्म की ओर से दो जिलों के छह गांवों की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक यहां खाने-पीने की 121 चीजें पाई जाती हैं। इनमें 30 किस्म के मशरूम, जिसे स्थानीय बोली में...

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सरकारी ढर्रे को बदलने का सवाल - नंटू बनर्जी

आगामी 25 दिसंबर को मोदी सरकार ने 'सुशासन दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सुशासन या गुड गवर्नेंस लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुनियादी एजेंडे में शामिल रहा है। पर सवाल उठता है कि प्रशासनिक ढांचे व सुशासन के आपसी रिश्तों से हम क्या समझें। कारोबारी समूहों में ऐसा होता है कि गिने-चुने लोगों का प्रबंधन चंद लोगों के कार्यसमूह के साथ भी अपनी सुदक्षता...

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2020 तक एक लाख करोड़ का होगा इंडिया का रिटेल मार्केटः PwC

नई दिल्ली। देश का रिटेल सेक्टर साल 2020 तक 10 फीसदी की दर से बढ़ते हुए एक लाख करोड़ डॉलर (करीब 60 लाख करोड़ रुपए) का हो जाएगा। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (PwC) की हालिया रिपोर्ट यह उम्मीद जता रही है। क्या कहती है रिपोर्ट पीडब्ल्यूसी की ‘द फ्यूचर ऑफ इंडियाः द विनिंग लीप' के मुताबिक, "इंडिया की रिटेल इंडस्ट्री (ऑर्गेनाइज्ड और अन-ऑर्गेनाइज्ड) 2020 तक 10 फीसदी सीएजीआर (कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट) से बढ़कर 2012...

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क्या रूबल की खराब सेहत पूरी दुनिया का मूड बिगाड़ेगी?

दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं की सेहत अच्छी नजर नहीं आ रही है। सबसे ज्यादा नाजुक स्थिति रूस की है, जहां कि मुद्रा रूबल में भारी गिरावट हो रही है। इससे वहां के नागरिकों के साथ ही कई देशों की धड़कने बढ़ गई हैं। संकट जारी रहा तो मंदी का भारी दौर देखना पड़ सकता है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व की अध्यक्ष जेनट येलने का कहना है कि रूस में जारी संकट...

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काली कमाई : 'वहां' से ज्यादा 'यहां' - मोहन गुरुस्‍वामी

नई दुनिया(अग्रलेख) काले धन की जांच के लिए सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने सर्वोच्च अदालत को यह महत्वपूर्ण जानकारी दी कि भारतीयों का स्विस बैंकों में जहां 4,479 करोड़ रुपए का काला धन जमा है, वहीं अपने देश में ही 14,958 करोड़ काला धन है! यह जानकारी निश्चित ही चौंकाने वाली है, लेकिन इसके बावजूद इसे अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता। क्योंकि अर्थव्यवस्था की बारीकियों पर नजर रखने वालों को...

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