राइट टू इनफॉरमेशन एक्ट के अंतर्गत दी हुई सूचना के अनुसार, तीन करोड़ मुकदमे भारत के न्यायालयों में विचाराधीन हैं. इनमें 30 लाख मुकदमे 21 हाइकोर्ट में और 39780 मुकदमे सुप्रीम कोर्ट में हैं. ऐसी परिस्थिति में भ्रष्टाचार स्वाभाविक है. भ्रष्टाचार की जड़ें अनिर्णित न्यायिक व्यवस्था में निहित हैं. किसी भी भ्रष्टाचारी को वर्तमान न्यायालयों की कार्यप्रणाली में सजा दिलाना असंभव सा है. इसी से भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिलता है. न्यायालयों पर...
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बदल रहे हैं, गांव, देहात और जंगल- हरिवंश
फ़रवरी 2008 में चतरा के नक्सल दृष्टि से सुपर सेंसिटिव गांवों में जाना हुआ. साथ के मित्रों के भय और आशंका के बीच, देर शाम तक घूमना हुआ. सूनी सड़कों पर मरघट की खामोशी के बीच. तब तक लिखा यह अनुभव भी छपा नहीं. पाठक पढ़ते समय ध्यान रखें यह फ़रवरी 2008 में लिखी गयी रपट है. कभी डालटनगंज-चतरा के इन इलाकों में खूब घूमना हुआ. समाजवादी चिंतक, अब बौद्ध अध्येता व...
More »यूपी में किसान आंदोलन को फिर आग
लखनऊ [अवनीश त्यागी]। भट्टा पारसौल कांड से सुलगे भूमि अधिग्रहण विवाद की आग सियासी झोंकों से फिर भड़काने की तैयारी है। विपक्षी दल बसपा सरकार की नई अधिग्रहण नीति का जवाब देने की तैयारी कर चुके हैं। भाजपा व कांग्रेस जमीनी जंग के मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं तो सपा राष्ट्रीय अधिवेशन में इसके खिलाफ रणनीति बनाएगी। बीते हफ्ते लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने पहली बार किसान...
More »...तो रामदेव को जेल में डाल देती कांगेस, दिग्विजय ने साधा निशाना
नई दिल्ली. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर बाबा रामदेव पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि आमरण अनशन और आंदोलन से न तो काला धन वापस आएगा और भ्रष्टाचार मिटेगा। इसलिए बाबा रामदेव को सरकार की बात मान कर अनशन का कार्यक्रम छोड़ देना चाहिए। उनका कहना है कि बाबा से कांग्रेस को कोई डर नहीं है। बकौल दिग्विजय, 'अगर कांग्रेस बाबा रामदेव से डरी होती...
More »अकाल, भुखमरी इस देश में कई समुदायों की जीवनसाथी है- विनायक सेन से आशीष कुमार अंशु की बातचीत
विनायक सेन को लेकर मीडिया और समाज में दो तरह की छवि है। एक विनायक सेन, जिन्हें हमेशा देश के दुश्मन के तौर पर पेश किया जाता है, दूसरे विनायक सेन वे जो आदिवासियों के शुभचिंतक हैं और गरीब समाज के मसीहा हैं। दोनों विचार अतिवादी हैं। इस तरह एक आम भारतीय असमंजस की स्थिति में है कि वह इन दोनों में से किसे सच माने और किसे झूठ! यदि हम मीडिया की नजर...
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