SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1972

पुलिस के कामकाज और लोगों में पुलिस की धारणा पर कॉमनकॉज की रिपोर्ट का लोकार्पण

नई दिल्ली, 9 मई:  कॉमनकॉज और सीएसडीएस के लोकनीति प्रोग्राम ने आज इंडिया हैबिटेट सेंटर में देश का पहला स्टेटस् ऑफ पोलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट(SPIR 2018) जारी किया. रिपोर्ट के लोकार्पण के बाद ‘जन-केंद्रित पुलिसिंग एवं विधि-व्यवस्था’ पर एक परिचर्चा हुई.  परिचर्चा में विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस ए पी शाह, पूर्व डीजीपी तथा इंडियन पुलिस फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री प्रकाश सिंह तथा मानवाधिकारों से जुड़े मामलों की वकील सुश्री...

More »

अराजकता की आती आहटें-- पवन के वर्मा

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्र संघ के कार्यालय में वर्ष 1938 से लगी मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर इस यूनिवर्सिटी में अशांति के चालू दौर में एक-दूसरे से बिलकुल अलग दो विचारणीय विषय हैं. पहला, क्या एएमयू में ऐसे व्यक्ति की तस्वीर लगी रहनी चाहिए, जिसने भारत विभाजन हेतु सक्रियता से कार्य किया, पाकिस्तान बनवाया और हिंदुओं तथा मुसलिमों के बीच नफरत को हवा दी? दूसरा, यदि...

More »

कैंसर की तरह फैलता अवैध निर्माण - संजय गुप्त

हिमाचल प्रदेश के कसौली में एक होटल मालिक ने अवैध निर्माण हटाने आईं सहायक नगर नियोजन अधिकारी शैलबाला की जिस तरह गोली मारकर हत्या कर दी, वह अपराध की सामान्य घटना नहीं है। शैलबाला को गोली मारने वाले होटल मालिक ने पहले ले-देकर अपने अवैध निर्माण को बचाने की कोशिश की। जब वह नाकाम रहा तो उसने पुलिस की मौजूदगी में सहायक नगर नियोजन अधिकारी की हत्या कर दी। यह...

More »

उत्तर भारत में आंधी-तूफान: अब तक 89 की मौत, बढ़ सकता है आंकड़ा

लखनऊ/जयपुर/कोलकाता/रांची : बुधवार की देर शाम आयी आंधी और बारिश ने एक बार फिर से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जमकर तबाही मचायी है. जहां जबर्दस्त आंधी की चपेट में आकर राजस्थान में 24 लोगों की मौत हुई, वहीं उत्तर प्रदेश में 50 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है. आगरा में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अभी तक केवल आगरा में ही 36 लोगों की...

More »

श्रम के भूमंडलीकरण की जरूरत-- कृष्णप्रताप सिंह

विडंबना देखिए कि भूमंडलीकरण के भरपूर व्याप जाने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में नहीं. ऐसा क्यों है? दरअसल, 19वीं शताब्दी के नौवें दशक तक मजदूर अत्यंत कम व अनिश्चित मजदूरी पर सोलह-सोलह घंटे काम करने को अभिशप्त थे. सन् 1810 के आसपास ब्रिटेन में उनके सोशलिस्ट संगठन ‘न्यू लेनार्क' ने राबर्ट ओवेन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close