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स्कूल तोड़कर बीच से निकाल दी गई फोर लेन सड़क, ग्रामीणों ने शुरू किया ‘सड़क पर स्कूल’ अभियान

-न्यूजक्लिक, ये तो सभी ने खुली आंखों से देखा है कि किस प्रकार से कोरोना महामारी काल ने केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकारों की भांति बिहार सरकार की भी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को उधेड़ कर रख दिया. लेकिन अब अनलॉक की स्थिति ने सरकारी शिक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है. बिहार सरकार ने विगत दिनों से प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की जो स्थिति कर रखी है,...

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देश के 80 फीसदी कोरोना मामले 90 जिलों से, दूसरी लहर अब भी जारी: स्वास्थ्य मंत्रालय

-आउटलुक, देश में कोविड-19 के नए मामलों में लगातार कमी आ रही है। तो यह कहा जा सकता है कि देश मे कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी समाप्त होने के कगार पर है लेकिन तीसरी लहर की संभावना ने स्वास्थ्य मंत्रालय और सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के दैनिक मामलों में कमी के बाद से अब देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वहीं, कुछ राज्यों...

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कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने कई देशों में मचाई खलबली, ऑस्ट्रेलिया, रूस और बांग्लादेश में नई पाबंदियाँ

-बीबीसी,  भारत में धीरे-धीरे कई शहरों के अनलॉक होने की प्रक्रिया शुरू हो रही है. दिल्ली में सोमवार से जिम, योगा सेंटर और बैंक्वेट हॉल खोलने की सशर्त इज़ाज़त मिल गई है. हरियाणा सरकार ने भी कुछ पाबांदियों के साथ अपने लोगों को सोमवार से थोड़ी राहत देने का ऐलान किया. जानकार भारत में तीसरी लहर आने की चेतावनी देते हुए मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिग का पालन करने की सलाह दे...

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कोविड-19 के समय में सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली हल्दी 2021 में क्यों होने वाली है महंगी

-द प्रिंट, महामारी के वर्ष में हल्दी की खपत बढ़ गई क्योंकि देश भर के लोगों ने इसे कोविड-19 के खतरे से निपटने के लिए रामबाण माना. केंद्र सरकार ने हल्के या बिना लक्षण वाले रोगियों में कोविड रोकथाम और उपचार के लिए हल्दी वाले दूध, काढ़ा और योग जैसे आयुर्वेदिक उपायों को अपनाने की सलाह दी. और, 2019-20 से 2020-21 में कच्ची हल्दी की घरेलू मांग में 300 फीसदी का उछाल देखा गया. खपत में इस...

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लॉकडाउन के बाद भी भुखमरी और सिकुड़ती आय के खतरे बरकरार!

11 राज्यों के 3,994 उत्तरदाताओं के बीच एक सर्वेक्षण के प्रारंभिक निष्कर्षों से पता चलता है कि अधिकांश कमजोर परिवारों और समुदायों, जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, पीवीटीजी, झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले, दिहाड़ी मजदूर, किसान, एकल महिला परिवार, इत्यादि में लॉकडाउन से पहले उनकी आय के स्तर की तुलना में सितंबर-अक्टूबर के दौरान उनकी आय कम रही है. राइट टू फूड कैंपेन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज (टेलीफोनिक सर्वेक्षण के...

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