-न्यूजक्लिक, सुप्रीम कोर्ट ने हाल में स्वत: संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट्स पर ‘कोर्ट की अवमानना’ की प्रक्रिया शुरू कर दी। कहा जा रहा है कि उनके एक ट्वीट में भारत के मुख्य न्यायधीश पर महामारी के दौर में न्याय व्यवस्था को लॉकडाउन में रखने से संबंधित टिप्पणी की गई थी। यहां लेखक महामारी में बतौर जरूरी सेवा, न्यायिक प्रक्रियाओं को जारी रखने में सुप्रीम कोर्ट के...
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ईशनिंदा को अब अलविदा!- सुभाष गताडे
इंडोनेशिया की चीनी मूल की बौद्ध महिला मैलाना (उम्र 44 साल) को बहुत कम लोग जानते होंगे. कुछ माह पहले ही वह इंडोनेशिया के अखबारों में सूर्खियों में रही, जब वहां के विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत उसे दो माह की सजा सुनायी गयी. सुमात्रा द्वीप की रहनेवाली इस महिला का ‘जुर्म' इतना ही था कि उसने अपने स्थानीय मस्जिद से दी जा रही अजान की तेज आवाज के बारे...
More »अंदेशे के भय से अतिरंजित प्रतिक्रिया - ए. सूर्यप्रकाश
पहली नजर में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती के सामूहिक विरोध के पीछे कोई तर्क नजर नहीं आ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने स्वयं कबूला है कि उन्होंने अभी तक इस फिल्म को नहीं देखा है, लेकिन उत्तर भारत के राज्यों में खासकर राजपूत समुदाय और अन्य हिंदू जातियों के लोग सड़कों पर आकर फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं। उनकी चिंता इस बात को लेकर ज्यादा...
More »गांधी के सपनों का स्वराज-- श्री भगवान सिंह
वैसे महात्मा गांधी ‘स्वराज' या ‘स्वराज्य' संबंधी अपनी अवधारणा को जीवनपर्यन्त परिभाषित करते रहे, लेकिन जहां तक मैं समझ सका हूं, हिंदुस्तान के संदर्भ में उन्होंने जिस स्वराज की परिकल्पना की थी, उसके केंद्र में थी गांवों की स्वायत्त, स्वावलंबी अर्थ एवं प्रबंधन सत्ता। उनकी दृष्टि में गांवों की संपन्नता में ही देश की संपन्नता तथा गांवों की स्वायत्त पंचायती व्यवस्था में ही देश की सच्ची प्रजातांत्रिक छवि अभिव्यक्ति पा...
More »छद्म नायकों के इस दौर में-- अनुपम त्रिवेदी
विगत दिनों दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई घटना ने न केवल एक बड़ी बहस को जन्म दिया, बल्कि कुछ छद्म नायकों का भी सृजन किया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश-विरोध और विभाजन के स्वर उठे. बहस बजाय इस पर होने के कि ऐसी आवाजें क्यों उठीं और इनके पीछे क्या मंतव्य है, बहस का दायरा दोषी कौन है और कौन नहीं पर सिमट गया. जिस आजादी...
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