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क्या बिना सहमति के चल रहा है इफको का अमोनिया संयंत्र, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

डाउन टू अर्थ, 20 सितम्बर  नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर्स कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा किए गए प्रदूषण के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय निरीक्षण समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के फूलपुर का है। कोर्ट के निर्देशानुसार इस संयुक्त निरीक्षण समिति में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी), केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) और प्रयागराज के जिला...

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अमोनिया गैस रिसाव से बचाव की योजना के बिना नहीं चलने चाहिए कोल्ड स्टोरेज: यूपीपीसीबी

डाउन टू अर्थ , 13, फरवरी  उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने हाथरस में आलू के लिए बनी कोल्ड स्टोरेज इकाइयों पर अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी है। इस रिपोर्ट में यूपीपीसीबी ने सिफारिश की है कि अमोनिया गैस रिसाव से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन योजना के बिना इन कोल्ड स्टोरेज को नहीं चलाया जाना चाहिए। मामला उत्तरप्रदेश में हाथरस की सादाबाद तहसील का है। इसी को ध्यान में रखते...

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ओडिशा की नई अक्षय ऊर्जा नीति और 10 गीगावाट का लक्ष्य

मोंगाबे हिंदी, 16 जनवरी  ओडिशा को भले ही अक्षय ऊर्जा की उच्च क्षमता वाला राज्य नहीं माना जाता हो, लेकिन राज्य सरकार अपनी नई ऊर्जा नीति के साथ इसी तरफ बढ़ती नज़र आ रही है। अपनी नई अक्षय ऊर्जा नीति – राज्य अक्षय ऊर्जा नीति 2022 – के जरिए सरकार स्पष्ट तौर पर राज्य के भीतर स्वच्छ ऊर्जा विकास को प्रोत्साहित करने और उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है। राज्य...

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जानें कैसे हवा को ठंडा करने की तकनीकें पृथ्वी को गर्म कर रही हैं?

-इंडियास्पेंड, क्या आप जानते हैं कि एयर कंडीशनर जैसी रेफ्रिजेरेशन और कूलिंग तकनीकें 100 करोड़ टन से अधिक कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जन (CO2) करती हैं? ये आंकड़े जापान के उत्सर्जन के बराबर हैं, जो 2018 में दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन-डाइऑक्साइड उत्सर्जक देश था। भारत ने ऊर्जा-बचत और जलवायु-अनुकूल कूलिंग तकनीकों के लिए एक इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (ICAP) तैयार किया गया था, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके लॉन्च होने के दो...

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यूरिया की कीमत 900 डॉलर पर पहुंची, वैश्विक बाजार में लगातार बढ़ रहीं हैं उर्वरकों की कीमतें

-हरवीर सिंह, साल भर के भीतर वैश्विक बाजार में जिस तरह से उर्वरकों और उनके कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है वह सरकार और  घरेलू उर्वरक उद्योग दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं। जिस तरह की कीमत वृद्धि डाई अमोनियम फॉसफेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) में हुई है उसी तरह की कीमत वृद्धि यूरिया की कीमतों में देखने को मिल रही है। देश में आयातित यूरिया...

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