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जनहित याचिका पर जुर्माना: अब अदालत भी पूछने लगी है कि ‘तू क्या है?’

-न्यूजक्लिक, “हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है' तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ग़ालिब ने जब यह शेर कहा होगा तो ज़ाहिरा तौर पर उनके दिमाग में कोई अदालत नहीं रही होगी। लेकिन उत्तराखंड में वाक़या ऐसा हो गया कि अदालत से भी ऐसा ही प्रश्न पूछना पड़ रहा है कि “ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है” ! 14 जुलाई 2021 को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के मुख्य न्यायाधीश की...

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‘हिंदी प्रदेश’ की पहचान के मायने- शैबाल गुप्ता

शैबाल गुप्ता जाने-माने अर्थशास्त्री और एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव हैं. पिछले दिनों इलाहाबाद स्थित गोविंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट ने उन्हें 29वें ‘गोविंद बल्लभ पंत मेमोरियल लेक्चर' में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था. इस अवसर पर बोलने के लिए उन्होंने जो विषय चुना, उसका शीर्षक था- ‘आइडिया ऑफ द हिंदी हार्टलैंड'. हिंदी में इसे ‘हिंदी प्रदेश की धारणा' कहा जा सकता है. इस...

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छोटे राज्यों के बड़े प्रश्न- रोहित जोशी

जनसत्ता 25 फरवरी, 2014 : भारत में राज्यों के पुनर्गठन का प्रश्न नया नहीं है। यह लगातार यक्ष प्रश्न बना रहा है कि आखिर इतने विविधतापूर्ण देश में राज्यों के पुनर्गठन का एक सर्व-स्वीकार्य और जायज तार्किक आधार क्या हो? साथ ही पृथक तेलंगाना का यह विवाद भी नया नहीं है और जितना हो-हल्ला इस मसले पर हमने पिछले दिनों में देखा उसकी एक लंबी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। 1956 में संसद...

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झूठी, एकतरफा और मनगढ़ंत!-प्रेस काउंसिल बिहार रिपोर्ट ( क्षमा के साथ)

प्रेस काउंसिल बिहार रिपोर्ट क्षमा के साथ भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) की किसी रिपोर्ट के लिए पहली बार यह विशेषण हमने इस्तेमाल किया कि प्रेस परिषद की बिहार रिपोर्ट झूठी है, एकतरफा है, मनगढ़ंत है या पूर्वग्रह से ग्रसित है. या किसी खास अज्ञात उद्देश्य से बिहार की पत्रकारिता और बिहार को बदनाम करने के लिए यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. हम ऐसा निष्कर्ष तथ्यों के आधार पर निकाल...

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