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भारत के पहले जिओथर्मल प्लांट की संभावनाएं और चुनौतियां

द थर्ड पोल, 01 दिसम्बर लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र में पुगा घाटी में सरकार द्वारा संचालित तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) भारत का पहला जिओथर्मल प्लांट बना रहा है। लद्दाख के नीचे दो टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं, जिससे यह स्थान गर्म झरनों जैसी जिओथर्मल घटनाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बनता है, और यह वह ऊर्जा है, जिसका दोहन करने के लिए ओएनजीसी उत्सुक है। यह नवीकरणीय ऊर्जा का संभावित...

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भारत के पहले जिओथर्मल प्लांट की संभावनाएं और चुनौतियां

द थर्ड पोल, 17 नवम्बर लद्दाख के हिमालयी क्षेत्र में पुगा घाटी में सरकार द्वारा संचालित तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) भारत का पहला जिओथर्मल प्लांट बना रहा है। लद्दाख के नीचे दो टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं, जिससे यह स्थान गर्म झरनों जैसी जिओथर्मल घटनाओं के लिए एक प्रमुख केंद्र बनता है, और यह वह ऊर्जा है, जिसका दोहन करने के लिए ओएनजीसी उत्सुक है। यह नवीकरणीय ऊर्जा का संभावित...

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भारत के कच्चे तेल के उत्पादन में गिरावट जारी, दिसंबर में दो प्रतिशत और घटा

-आउटलुक, भारत में कच्चे तेल के उत्पादन में दिसंबर, 2021 में भी गिरावट जारी रही। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी का उत्पादन घटने से देश के कच्चे तेल उत्पादन में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई है। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। कच्चे तेल का शोधन करके पेट्रोल और डीजल बनाया जाता है। दिसंबर, 2021 में कच्चे तेल का उत्पादन 25.1 लाख टन रहा, जो एक वर्ष पहले...

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अनहेल्दी सीक्रेट्स - क्यों जरूरी है पीएम केयर्स फंड की जांच

-कारवां, आजादी के बाद देश के सभी बड़े शहरों में पाकिस्तान से आने वाले हिंदू और सिख शरणार्थियों की संख्या हर बीतते दिन बढ़ रही थी. जवाहरलाल नेहरू उस समय देश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे और उनके आधिकारिक आवास तीन मूर्ति भवन में भी लोगों की भीड़ लगी रहती. नेहरू के निजी सचिव रहे एम. ओ. मथाई अपनी किताब रेमनिसंस ऑफ दि नेहरू ऐज में नेहरू की एक आदत...

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आर्थिक उद्देश्य संविधान के विजन से अलग नहीं हो सकते : तलोजा जेल से आनंद तेलतुंबड़े

-कारवां, सार्वजनिक सेक्टर के उद्यमों का निजीकरण करने की मोदी सरकार की योजना पर जारी बहस से कुछ हद तक पुरानी बहसों की याद आती है. सरकार के समर्थन में निजीकरण की पैरवी करने वाले लोग दलील दे रहे हैं कि निजीकरण हमेशा ही सार्वजनिक सेक्टर के लिए कारगर रहा है. वे नहीं जानते लेकिन इस दलील का तार्किक विस्तार करें तो यह बेतुका लेकिन जायज सवाल भी किया जा सकता है...

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