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सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को निर्देश: ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी और असंगठित श्रमिकों को 3 महीने के भीतर राशन कार्ड उपलब्ध कराएं

जनचौक, 21 अप्रैल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 20 अप्रैल 23 को राज्य सरकारों को उन प्रवासी और असंगठित श्रमिकों को 3 महीने के भीतर ‘राशन कार्ड’ देने का निर्देश दिया, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। लेकिन वो केंद्र के ‘ई-श्रम पोर्टल’ पर पंजीकृत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘ई-श्रम पोर्टल’ में पंजीकृत लगभग आठ करोड़ प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने का निर्देश दिया। जिन्हें ‘राष्ट्रीय...

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भारत के नागरिकों की खाद्य सुरक्षा- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और एक देश एक राशन कार्ड योजना- की पड़ताल!

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 44,762 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशी के साथ तीन माह के लिए और बढ़ा दिया गया है. यह योजना 1 अक्टूबर, 2022 से 31 दिसम्बर, 2022 तक की अवधि तक यथावत रहेगी. यह योजना का सातवा चरण है. सातवें चरण तक योजना का कुल खर्च 3.45 लाख करोड़ रूपए से बढ़कर 3.91 लाख करोड़ रूपए हो जाएगा. कोविड महामारी के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों की...

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गरीबी और असमानता

[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...

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दास्तां जन औषधि केंद्र की; शुरुआत, चुनौतियां और भविष्य!

जन स्वास्थ्य' का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत में लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा भी जन स्वास्थ्य को वरीयता दी जाती है. नतीजन सन् 2008 में "जन औषधि केंद्र" को शुरू किया जाता है. जहां सस्ते दामों पर सामान्य दवाइयां मिल सकें. 7 मार्च, 2022  को जन औषधि दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम होता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जन औषधि...

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महामारी के समय में बजट और राजनीति

-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...

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