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'भारत को कृषि के लिए एक पारिस्थितिकी केंद्रित दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए'

इंडियास्पेंड, 11 मई  पी.एस. विजयशंकर धारणीय खेती और जल संसाधन प्रबंधन के विशेषज्ञ हैं। वह कहते हैं कि1960 के दशक में भारत की हरित क्रांति द्वारा लाई गई उत्पादन-केंद्रित कृषि, उच्च उपज वाले बीजों, उर्वरकों और भूजल के अत्याधिक उपयोग से भारत को 1970 के दशक तक खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद तो मिली, लेकिन इसने मृदा स्वास्थ्य, भूजल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का काफी नुकसान भी किया। भारत को...

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ओडिशा के पहाड़ी इलाकों में स्ट्राबेरी उगा रहे हैं आदिवासी किसान

गाँव कनेक्शन, 9 जनवरी एक साल पहले 2021 में इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी(ITDA),ने कोरापुट जिले के चार गाँवों की 30 आदिवासी महिलाओं को पहली बार जिले के डोलियांबा गाँव में पांच एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने में मदद की थी। ये महिलाएं तीन स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)-माँ सुभद्रा, माँ तारिणी और माँ बरुआ- से जुड़ी हुईं थीं। आज ये आदिवासी महिलाएं सफल स्ट्रॉबेरी किसान हैं। इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी,...

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रागी, कोदो जैसे मोटे अनाज की खेती को बचाने की पहल, जिससे किसानों को मिले उनकी उपज का सही दाम

गाँव कनेक्शन, 7 सितम्बर  रागी, बाजरा जैसे मोटे अनाज की खेती के बाद प्रोसेसिंग के पुराने और परंपरागत तरीकों से न ही सही से अनाज निकल पाता है और न ही बाजार में उसका सही दाम मिल पाता है। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र, उन किसानों और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए मददगार साबित हुआ है जो मोटे अनाज की खेती करते हैं। भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान के निदेशक...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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केंद्रीय बजट 2022-23 में पूंजीगत खर्च बढ़ाने के पीछे का सच

-न्यूजक्लिक, वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण का केंद्रीय बजट 2022-23 एक ही जुनून (obsession) पर आधारित है। यह जुनून बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) बढ़ाने का है। धारणा यह है कि इस तरह के big-ticket वाले बुनियादी ढांचे के खर्च से अतिरिक्त मांग पैदा होगी और निजी निवेश का खुद ही प्रवेश होगा, और इस तरह विकास को बढ़ावा मिलेगा।  न्यूज़क्लिक ने पूर्व वित्त सचिव श्री एस.पी. शुक्ला से केंद्रीय...

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