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महामारी के समय में बजट और राजनीति

-आइडियाज फॉर इंडिया, हाल ही में वर्ष 2022-23 के लिए घोषित बजट को राजनीतिक अर्थव्यवस्था के चश्मे से देखते हुए, यामिनी अय्यर तर्क देती हैं कि महामारी के दौरान घोषित किये गए दोनों बजटों में कल्याण से ज्यादा पूंजीगत व्यय पर दिया गया जोर "बाजार के अनुकूल सुधारों" की ओर राजनीतिक आख्यान में बदलाव का सिलसिला मात्र है जो 2019 में मोदी सरकार के फिर से चुने जाने के साथ शुरू...

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उत्तर प्रदेश: मंडियों की कमाई में आई 770 करोड़ रुपए की कमी, विवादित कृषि कानून बना प्रमुख कारण

-न्यूजलॉन्ड्री, उत्तर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि बीते साल मंडी शुल्क में भारी कमी आई है. जवाब के मुताबिक जहां 2019-20 में मंडी शुल्क के रूप में 1390.60 करोड़ रुपए प्राप्त हुए थे, वहीं 2020-21 में घटकर 620.81 करोड़ रुपए हो गया. मंडी शुल्क में आई इस कमी की एक वजह केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन विवादित कृषि कानूनों में से एक कृषि...

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क्यों चंपारण और खेड़ा के किसान आंदोलनों से बड़ा है मौजूदा किसान आंदोलन

-रूरल वॉइस, आज यानी 11 दिसंबर को गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ और हवन के बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर लगे मोर्चों से अपने घरों को वापसी करेंगे। 378 दिन चला किसान आंदोलन देश और दुनिया के इतिहास में एक ऐसा मुकाम बना चुका है जिसके दोहराये जाने की कल्पना अभी संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जून, 2020 में अध्यादेशों के जरिये लाये गये तीन नये कृषि कानूनों के...

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कृषि कानूनों का रद्द होना तो मलाई है, लेकिन खुरचन है इस आंदोलन की दूरगामी उपलब्धि

-द प्रिंट, ‘तो, आखिर जहां से चले थे फिर से हम वहीं पहुंच गये, है ना ? आखिर हमारा हासिल क्या रहा ?’ तीन कृषि कानूनों के खात्मे पर मनाये जा रहे जश्न से कुछ-कुछ खिन्न नजर आ रहे एक युवा कार्यकर्ता ने किसी तीर की तरह सनसनाता और चुभता यह सवाल पूछा. उसका तर्क बड़ा सीधा सा था : किसान इन तीन कृषि कानूनों के आने के पहले से ही...

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राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य पर किसान लॉबी की वापसी

-रूरल वॉइस,  गुरू पर्व के मौके पर 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करने के साथ ही यह बात अब साफ हो गई है कि देश के राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य पर किसान लॉबी की वापसी हो गई है। आने वाले दिनों में राजनीति की दिशा के साथ ही आर्थिक नीतियों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। 1991 की आर्थिक उदारीकरण...

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