वर्ष 2020 में केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े मसलों पर तीन कानून बनाएँ। जिसका किसानों ने भारी विरोध किया। दिल्ली की सरहदों पर डेरा डाला। करीब 13 महीनों की रस्सा-कशी के बाद समाधान का रास्ता निकला। केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को निरस्त कर दिया। किसानों ने धरना/आन्दोलन ख़त्म कर दिया। किसान अपने-अपने घरों की ओर लौट गए। करीब दो वर्ष बाद, एक बार फिर किसान दिल्ली की ओर...
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एमएसपी की कानूनी गारंटी- खाद्य सुरक्षा और किसान की जीवन रेखा
डाउन टू अर्थ, 19 फरवरी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की अनुशंसा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी कृषि उपज के लिए न्यूनतम लाभकारी मूल्य दिलाना, बाजार में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। एमएसपी की शुरुआत 1966-67 में की गई थी, जब भारत में खाद्य पदार्थों की भारी कमी थी। तब सरकार ने घरेलू खाद्यान्न...
More »पराली समस्या पर सरकारी प्रयास अव्यावहारिक, क्या है पर्यावरण हितैषी स्थायी समाधान?
डाउन टू अर्थ, 20 अक्टूबर भारत सहित पूरी दुनिया के लगभग 80 प्रतिशत किसान धान की पराली जलाते हैं, जिससे गंभीर वायु प्रदूषण फैलता है। जो हर साल घनी आबादी और ज्यादा औद्योगिक घनत्व वाले भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र मेंं अक्टूबर-नवंबर महीने मेंं हवा की गति कम होने और हिमालय से ठंडी हवा आने से बहुत ज्यादा गंभीर हो जाता है। इस वायु प्रदूषण समस्या के समाधान के लिए केन्द्र...
More »नेफेड ने खरीदा 19.47 लाख टन चना, दालों की कीमतें नियंत्रित रखने में कितनी कारगर रहेगी यह रणनीति
रूरल वॉयस, 16 मई केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत आक्रामक तरीके से चना की सरकारी खरीद कर रहा है। चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में अब तक 19.47 लाख टन से ज्यादा चना की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जा चुकी है। पिछले रबी मार्केटिंग सीजन में करीब 26 लाख टन चना की खरीद नेफेड ने...
More »पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य
पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...
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