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जलवायु संकट: जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म वर्ष होगा 2024, वैज्ञानिकों ने जताई 55 फीसदी आशंका

डाउन टू अर्थ, 18 अप्रैल  इस बात की 55 फीसदी आशंका है कि 2024 जलवायु रिकॉर्ड का सबसे गर्म साल होगा। वहीं 2024 के पांच सबसे गर्म वर्षों में शुमार होने की 99 फीसदी आशंका है। यह जानकारी नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। गौरतलब है कि कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) के बाद अब एनओएए ने...

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जनवरी के बाद फरवरी ने भी तोड़े बढ़ते तापमान के रिकॉर्ड, सामान्य से 1.77 डिग्री ज्यादा रहा तापमान

डाउन टू अर्थ, 11 मार्च 2024 शुरूआत से ही बढ़ते तापमान की चपेट में है, पहले जनवरी और अब फरवरी ने भी बढ़ते तापमान के पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। जलवायु आंकड़ों की मानें तो फरवरी 2024 में बढ़ता तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में फरवरी के औसत तापमान से 1.77 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है, जो उसे जलवायु इतिहास की अब तक की सबसे...

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आईपीसीसी रिपोर्ट के बजाए भारत को अपने जलवायु अनुमान की जरूरत, क्षेत्रीय क्लाइमेट मॉडल बेहतर

मोंगाबे हिंदी, 29 दिसम्बर  ग्लोबल नॉर्थ की तुलना में ग्लोबल साउथ खासकर दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। साथ ही, यह क्षेत्र ज्यादा समृद्ध और विकसित देशों की तुलना में ग्लोबल वॉर्मिंग की परिस्थितियों से निपटने में भी कम सक्षम है। नुकसान और क्षति और ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के तरीकों और उनको अपनाने की फंडिंग के मुद्दे पर बहस के दौरान भी यह असमानता काफी अहम...

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कॉप-28: लंबी खींचतान के बाद क्लाइमेट पर नए प्रस्ताव पर सहमति लेकिन नीयत सवालों के घेरे में

कार्बनकॉपी, 14 दिसम्बर  लंबी खींचतान के बाद आखिरकार दुबई वार्ता में एक नए क्लाइमेट प्रस्ताव पर सहमति हो गई लेकिन इसमें जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को खत्म करने या भारी कटौती के लिए प्रावधानों का अभाव है। पिछले दो हफ्ते से संयुक्त अरब अमीरात की मेजबानी में हुए इस सम्मेलन में कई विवाद उठे और जीवाश्म ईंधन, क्लाइमेट फाइनेंस और एडाप्टेशन जैसे मुद्दों पर गहरी चर्चा हुई। हालांकि सम्मेलन के पहले...

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दुनिया भर में हर तीन में से एक बच्चा पानी की भारी कमी से जूझ रहा है: यूनिसेफ

डाउन टू अर्थ, 14 नवम्बर जहां आज हम भारत में बाल दिवस का उत्सव मना रहे हैं, वहीं दुनिया भर में बच्चे अनेकों समस्याओं का सामना रहे हैं। यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट 'दि क्लाइमेट चेंज्ड चाइल्ड' के अनुसार, तीन में से एक बच्चा या दुनिया भर में 73.9 करोड़ लोग पानी की भारी कमी वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जलवायु परिवर्तन के कारण स्थिति के और भी भयावह होने का...

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