कभी-कभी मैं महसूस करता हूं कि गणतंत्र में जो कुछ बिल्कुल ही अस्वीकार्य है, वह अब सामान्य-सा होता जा रहा है. जब पहली बार पशु व्यवसायियों पर हमले हुए, तो वे समाचार बने, मगर यह इतनी दफा होने लगा कि शुरुआती सदमा समाप्त हो चला है. इन वारदातों की खबरें और टिप्पणियां अब चलताऊ किस्म की होती हैं. यदि हम यह यकीन करते हैं कि भारत विश्व का सबसे बड़ा...
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तंग नज़रिये के प्रतीकों का पोषण-- एस निहाल सिंह
फिल्म पद्मावती को लेकर छिड़ा विवाद एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है। केंद्र में 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से अभिव्यक्ति की आजादी तथा अपने अंदाज़ में ज़िंदगी जीने के लिए जगह सिकुड़ती जा रही है। दूसरा, सार्वजनिक बातचीत में सतहीपन आ गया है, जबकि कांग्रेस के शासनकाल में ऐसा नहीं होता था। इसके कारण कहीं दूर तलाश करने की जरूरत नहीं। आरएसएस के...
More »गौरक्षकों की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा बर्दाशत नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी जिलों में सीनियर पुलिस अफसर को नोडल अफसर के तौर पर नियुक्त किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि उनको गौ सेवा के नाम पर...
More »प्लास्टिक कचरे से मुक्ति कब-- ज्ञानेन्द्र रावत
प्लास्टिक कचरे का सवाल अकेले हमारे देश के लिए ही नहीं, वरन् समूचे विश्व के लिए अहम् है. वह बात दीगर है कि यह समस्या हमारे यहां ज्यादा गंभीर है. स्वच्छता अभियान के बावजूद प्लास्टिक युक्त कचरे ने गांव, कस्बा, नगर, महानगर यहां तक देश की राजधानी तक को चपेट में ले लिया है. सागर और महासागर भी नहीं बच सके हैं. प्लास्टिक कचरा जानवरों के लिए तो काल बन...
More »दलित बुजुर्ग का सवाल- गाय माता है तो मर जाने पर खुद क्यों नहीं उठाते?
एक साल पहले गुजरात के उना में कथित गौरक्षकों द्वारा दलितों की गई पिटाई के वीडियो ने पूरे देश को झकझोर दिया था। ये घटना न केवल उन दलितों बल्कि दलित राजनीति के जीवन में भी निर्णायक मोड़ साबित हुई। पिछले साल 11 जुलाई को वशराम सरवैया (26), रमेश सरवैया (23), उनके चचेरे भाई अशोक सरवैया (20) और उनके रिश्तेदार बेचर (30) की कथित गौरक्षकों ने निर्मम पिटाई की थी।...
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