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जलवायु हॉटस्पॉट: गर्म होती जलवायु पहले से ही सूखे बुंदेलखंड को और झुलसा रही है

इंडियास्पेंड, 13 सितम्बर  "इस असहनीय गर्मी में भी हमें पानी के ल‍िए रोज 10-15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है।" मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की एक आदिवासी सुमिंत्रा देवी अपना दर्द साझा करते हुए कहती हैं। बुजुर्ग सुमिंत्रा देवी (65) बुन्देलखण्ड के लक्ष्मीपुर ग्राम पंचायत के सूखाग्रस्त गांव नई बस्ती में रहती हैं। वे एक बार में प्लास्टिक के चार ड‍िब्‍बे में लगभग 80 लीटर पानी लाती है। उनके घर में कुल...

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आजादी के 75 साल: खत्म नहीं हो रही भारत में गरीबी

DW हिंदी, 12 अगस्त गरीबी से परेशान होकर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के रहने वाले खुमान अहीरवार 2014 में दिल्ली चले आए थे. दिल्ली आने के बाद उन्होंने पहले तो चौकीदारी का काम किया फिर निर्माण क्षेत्र में मजदूरी करने लगे. कोरोना लॉकडाउन के दौरान वह अन्य श्रमिकों की तरह गांव वापस चले गए और लॉकडाउन खत्म होने के बाद दोबारा दिल्ली लौटे. दिल्ली लौटने के बाद उन्हें काम नहीं मिला,...

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बुंदेलखंड क्षेत्र के बच्चे कुपोषण की दोहरी मार झेल रहे हैं

पिछले समाचार अलर्ट में, हमने बुंदेलखंड क्षेत्र में कुपोषण की समस्या को 3 संकेतकों के हिसाब से देखा था - 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो स्टंटिंग से ग्रस्त हैं (उम्र के हिसाब से कम लंबाई); 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात जो वेस्टिंग के शिकार हैं (लंबाई के हिसाब से कम वजन); और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का अनुपात...

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बुंदेलखंड में कुपोषण की समस्या पर नीति निर्माताओं को जरूर ध्यान देना चाहिए!

हाल की मीडिया रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को लगभग रु. 6,300 करोड़ की परियोजनाओं की घोषणाएं की गई हैं, जिनमें झांसी में टैंक रोधी मिसाइलों के प्रणोदन प्रणाली के लिए 400 करोड़ रुपये का संयंत्र भी शामिल है. 18 नवंबर, 2021 को झांसी नोड (उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक गलियारे से संबंधित) में पहली परियोजना के लिए नींव...

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हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल

-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...

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