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जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय पहल अधिक जरूरी क्‍यों?

इंडियास्पेंड, 04 जनवरी झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट पहाड़ियों में बसे गांव दादीचापर में बिरजिया जनजाति के लगभग 35 परिवार रहते हैं। बिरजिया समुदाय भारत के सबसे दुलर्भ चिन्हित 75 आदिवासी समूहों में से एक है। बादलों से ढकी घुमावदार पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र काफी मनोरम दिखता है। दादीचापर गांव, लातेहार शहर से 30 किलोमीटर दूर है और इस गांव तक एक पथरीली और घुमावदार सड़क...

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अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज

मोंगाबे हिंदी, 22 दिसम्बर  माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।  जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की खूब याद आती थी। दरअसल, वह इसी अनाज को खाकर बड़ी हुई थी। उनकी पोती डिमम पर्टिन ने कहा, दादी के युवावस्था में यह मोटा अनाज खान-पान का अहम हिस्सा था। तब वह अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी...

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झारखंड: पहले जंगल उजाड़ा, फ‍िर उसे बसाने की पहल, लेकिन क‍िस कीमत पर?

इंडियास्पेंड, 24 नवम्बर  रामगढ़ के जित्रा टुंगरी गांव के पास जंगल में पहली बार में तो घूमना आसान लगता है। लेकिन जल्‍द ही घुटनों तक ऊंची घास और झाड़ियों के बीच बनी टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडियां राह गठ‍िन कर देती हैं। कभी-कभी सांप और गड्ढों से बचना पड़ता है। कोयना खदानों के धंसने के कारण जमीन में बड़ी खाइयां हो जाती हैं। लेकिन स्थानीय लोग इससे और अन्य सभी खतरों से बचने में कामयाब...

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सौर ऊर्जा वाले करघों से बदल रही है भारत के रेशम बुनकरों की ज़िंदगी

द थर्ड पोल , 27 सितम्बर  असम के कोकराझार जिले के भौरागवाजा गांव में बुधरी गोयारी, अपने आंगन में ‘एरी’ रेशम के कोकून की रीलिंग में व्यस्त हैं। रेशम के कोकून के अपने कंटेनर के पास, गोयारी, सौर ऊर्जा से चलने वाली रीलिंग मशीन के साथ बैठी हैं। बोडो जनजाति की गोयारी, भारत के आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों की उन 20,000 महिलाओं में से एक हैं, जिनके पास दिल्ली स्थित एक सामाजिक...

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जम्मू के जिलों में बढ़ते तापमान से स्थानीय जनजातियों की आजीविका को खतरा

मोंगाबे हिंदी, 05 सितम्बर  जम्मू यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग की एक रिसर्च टीम ने जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर जम्मू और कश्मीर में जम्मू प्रांत के 10 जिलों की रैंकिंग की। उन्होंने जम्मू प्रांत में बारिश और तापमान जैसे जलवायु परिवर्तन के जोखिम की सीमा का मूल्यांकन करने के लिए, श्रीनगर के भारत मौसम विज्ञान विभाग से मदद ली। टीम ने तीन दशकों में मौसम केंद्रों से...

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