प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जेनेरिक दवाओं को अनिवार्य करने की घोषणा ने देश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. एक बड़ा तबका इसके समर्थन में खड़ा है तो दूसरी ओर डॉक्टरों का समुदाय और दवा कंपनियां इस घोषणा पर बेहद तल्ख प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि उनकी सरकार ऐसा कानून बनाएगी, जिससे डॉक्टरों के लिए सस्ती जेनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य...
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सरकारी डॉक्टर नहीं लिख रहे हैं जेनेरिक दवा, जनऔषधि स्टोर घाटे में
रायपुर। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय प्रदेश में 157 जनऔषधि दवा स्टोर संचालित कर रहा है। दवाएं मंत्रालय अधीनस्थ प्लांट में बनाई जाती हैं, इसलिए ये बाजार में मौजूद ब्रांडेड दवाओं से 13 गुना तक सस्ती हैं। इसके बावजूद सरकारी डॉक्टर जेनेरिक दवा लिखने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जानबूझकर ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। मजबूरन जरूरतमंद मरीजों निजी दवा स्टोर से खरीदनी पड़ ही है। यही वजह है कि...
More »नया बजट और बुजुर्ग आबादी- चंदन श्रीवास्तव
अल्बर्ट आइंस्टीन को याद करते हुए ‘टाइम' मैगजीन में एक चिट्ठी छपी. इसमें लियो मैटर्सडॉफ नाम के सज्जन ने लिखा कि ‘प्रोफेसर आइंस्टीन के अमेरिका आने से लेकर उनकी मृत्यु के साल तक उनके आयकर रिटर्न का ब्यौरा मैं ही तैयार करता था. एक बार प्रिंस्टन स्थित उनके आवास पर मैं आयकर रिटर्न की तफ्सील तैयार कर रहा था. उनकी पत्नी ने आग्रह किया कि दोपहर का खाना मैं उन...
More »सवाल सेहत का
खास बात • सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** • अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** • तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** • सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...
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