जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...
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प्रकृति की ओर लौटते पंजाब के किसान
किसान हरजंट सिंह अपने गांव में निराले समझे जाते हैं. गांव का हर किसान उन्हें पहचानने का दावा करता है. हर कोई आपको उनके पास ले जाने का उत्साह दिखाता है. आख़िर उनमें क्या बात है जो दूसरों में नहीं? राय की कलां पंजाब के भटिंडा ज़िले में एक छोटा सा गांव है जहां हरजंट सिंह सदियों से चली आ रही परंपरागत तरीक़े से खेती करते हैं. उन्होंने अपने खेतों में कभी...
More »बायो तकनीकी खेती : स्वास्थ्य चिंताओं के बीच फील्ड ट्रायल की मंजूरी
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित असर को लेकर जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) खेती के समर्थन और विरोध में जारी बहस के बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने फील्ड ट्रायल के लिए आये प्रस्तावों में से करीब 80 फीसदी को हाल में हरी झंडी दे दी है. मई, 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार के गठन के बाद से इस संदर्भ में हुई आठ बैठकों के बाद पिछले दिनों यह मंजूरी दी गयी. ...
More »छोटे किसानों के हित में- एम के वेणु
अधिकांश विदेशी राजनयिकों और आर्थिक विशेषज्ञों की सोच है कि व्यापार सुगमता समझौता (टीएफए) पर तब तक हस्ताक्षर न करने की बात कहकर, जब तक कि खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में एक अरब भारतीयों की चिंता दूर नहीं कर दी जाती, भाजपा ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की भारत यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया बयान स्थितियां स्पष्ट...
More »विवाद के बीज- एक विधेयक बहुराष्ट्रीय निगमों के पक्ष में?
सरकार जिस बीज विधेयक को पारित करने के फिराक में है उसके बारे में सबसे मौजूं सवाल यह है कि क्या इससे किसानों की जीविका का कोई हित सध पाएगा या फिर इस विधेयक के पारित होते ही बीजों के बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सरपट दौड़ लगाने का रास्ता खुल जाएगा और किसानों के हितों की अनदेखी होगी। नये बिल की मंशा बीजों के बाजार का नियमन करना...
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