कार्बनकॉपी, 8 फरवरी वित्त मंत्री ने बजट भाषण में भी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कुछ घोषणाएं कीं। इनमें से कुछ ऐसी योजनाओं के बारे में थीं जिनमें पिछले साल और उसके पहले के बजट भाषणों में किए गए वादे और निर्धारित लक्ष्य अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। प्राकृतिक खेती वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अगले तीन वर्षों में सरकार एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए...
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जीरो बजट खेती वह रोमांटिक गाना है, जिसे किसान चाह कर भी गा नहीं सकते
-द प्रिंट, जीरो बजट खेती का मूल मंत्र यह है कि यदि किसान अपने ही खेत में मेहनत कर रहा है तो उसकी दैनिक मजदूरी का कोई मूल्य नहीं है. प्रत्यक्ष रूप से तो उसे वैसे भी कुछ नहीं मिलता लेकिन जीरो बजट में सरकार कागज पर भी इसे जीरो ही मानेगी. नीति आयोग में बैठे नीति नियंता देश के किसान के बारे में उससे भी ज्यादा जानते हैं और यही तथ्य...
More »बजट से किसान नाराज, नहीं दिखता संकट से निकलने का कोई रास्ता
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना दूसरा बजट 2020-21 पेश करते समय यह ऐलान किया कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है लेकिन किसानों का कहना है कि इस बजट में हमारे संकट का कोई समाधान नहीं है। वित्त मंत्री ने आम बजट में किसानों की भलाई के लिए वादे तो बहुत किए हैं, लेकिन इसके मुकाबले आवंटन किया केवल 2.83 लाख करोड़...
More »जीरो बजट कृषि का विचार नोटबंदी की तरह घातक है- राजू शेट्टी
शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को लेकर एक स्वाभाविक आकर्षण है क्योंकि यह कृषि जैसे मुश्किल व्यवसाय को सरलता से प्रकट करता है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि में जोखिम कम होता है और पूंजी की आवश्यकता नहीं के बराबर होती है। इसे विदर्भ के किसान नेता सुभाष पालेकर द्वारा गढ़ा गया है जिन्हें 2016 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि को वैसा ही स्थान मिला...
More »इस मर्ज की जड़ों पर करें प्रहार-- जगमति सांगवान
जहां एक तरफ़ पिछले दिनों हरियाणा लगातार अपनी बेटियों की खेल व अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व उपलब्धियों को लेकर नाज करता रहा है वहीं इसी दौरान बेटियों के साथ दहला देने वाली यौन हिंसा की घटनाओं ने हर संवेदनशील नागरिक को झकझोर दिया है। ख़ासतौर पर नए साल की 13-14 तारीख के 48 घंटों में हुई चार बर्बर घटनाओं ने। यद्यपि जांच के आगे बढ़ते घटनाक्रमों में कई प्रकार के...
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