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अल निनो प्रभाव, इस साल होगी फिर रिकॉर्डतोड़ गर्मी

कार्बनकॉपी, 4 मार्च  मौसम विभाग (आईएमडी) ने चेतावनी दी है कि भारत में इस साल गर्मियों की शुरुआत अधिक तापमान के साथ, होगी क्योंकि अल नीनो की स्थिति कम से कम मई तक बनी रहने की संभावना है। आईएमडी ने भविष्यवाणी की कि देश के पूर्वोत्तर प्रायद्वीपीय हिस्सों — तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तरी कर्नाटक — और महाराष्ट्र और ओडिशा के कई हिस्सों में हीटवेव वाले दिनों की संख्या सामान्य से अधिक...

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असमः तेल कुएं में विस्फोट के तीन साल बाद पुराने रूप में लौट रही मगुरी मोटापुंग बील

मोंगाबे हिंदी, 24 जनवरी  असम में 27 मई,  2020 को आर्द्रभूमि मगुरी मोटापुंग बील के पास बागजान में ऑयल इंडिया लिमिटेड के मालिकाना हक वाले तेल क्षेत्र में गैस रिसाव हुआ। इस वजह से 9 जून, 2020 को विस्फोट हुआ। इसे बुझाने में 173 से ज्यादा दिन लगे। विस्फोट से क्षेत्र में प्राकृतिक चीजों को गंभीर नुकसान हुआ। इस विस्फोट के तीन साल बाद  पारिस्थितिकी तंत्र के पुराने रूप में बहाल होने...

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तेल रिसने से मछली पकड़ने का काम बंद, एन्नोर में मछुआरों पर आजीविका का संकट

मोंगाबे हिंदी, 08 जनवरी कड़ाके की ठंड वाले दिसंबर की 21 तारीख की शाम को 38 साल के मछुआरे एम संतोष कुमार ने कातर नजरों से कोसस्थलैयार नदी का सामना किया। नदी चेन्नई शहर के उत्तर में बहती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह नदी कुमार के लिए आजीविका का सबसे अहम साधन है। अब इस नदी में दिसंबर की शुरुआत में चेन्नई में आए चक्रवात मिचौंग के...

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जलवायु परिवर्तन को अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय पहल अधिक जरूरी क्‍यों?

इंडियास्पेंड, 04 जनवरी झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट पहाड़ियों में बसे गांव दादीचापर में बिरजिया जनजाति के लगभग 35 परिवार रहते हैं। बिरजिया समुदाय भारत के सबसे दुलर्भ चिन्हित 75 आदिवासी समूहों में से एक है। बादलों से ढकी घुमावदार पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ यह क्षेत्र काफी मनोरम दिखता है। दादीचापर गांव, लातेहार शहर से 30 किलोमीटर दूर है और इस गांव तक एक पथरीली और घुमावदार सड़क...

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आत्मनिर्भर बन रही हैं केरल की आदिवासी महिलाएँ

बाबा मायाराम, पालक्काड़ “हम जल, जंगल और जंगली जानवरों का संरक्षण करने के साथ-साथ आदिवासियों की आजीविका को भी बचाने की कर रहे हैं। जंगल से हम उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत होती है। जंगली जानवरों के लिये को उनके पसंद के फल, फूल, पत्ते और कंद छोड़ देते हैं; जिससे वे भी जिये और जंगल की जैव-विविधता भी बनी रहे।” यह मंजू वासुदेवन थीं, केरल के त्रिचूर जिले में ‘फॉरेस्ट...

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