कार्बनकॉपी, 10 जनवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने भाषण में कहा था कि भारत ने 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य रखा है। इस भाषण के तीन महीने बाद ही नवंबर 2021 में ग्लासगो में आयोजित कॉप-26 में भारत ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की घोषणा की। ग्लास्गो में भारत ने यह भी लक्ष्य...
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दास्तां जन औषधि केंद्र की; शुरुआत, चुनौतियां और भविष्य!
जन स्वास्थ्य' का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत में लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा भी जन स्वास्थ्य को वरीयता दी जाती है. नतीजन सन् 2008 में "जन औषधि केंद्र" को शुरू किया जाता है. जहां सस्ते दामों पर सामान्य दवाइयां मिल सकें. 7 मार्च, 2022 को जन औषधि दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम होता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जन औषधि...
More »भारत के कमजोर होते लोकतंत्र से गंभीर बनता दिल्ली का वायु प्रदूषण
-कारवां, जैसे-जैसे सर्दियां दस्तक देने लगी थीं, वैसे-वैसे दिल्ली का अपना ही जहरीली हवा का मौसम शुरू होने लगा था. यह जहरीली हवा का मौसम दिवाली में पटाखों पर प्रतिबंध के खुले उल्लंघन के कारण और विषाक्त हो जाता है. प्रेस और दिल्ली के लिबरल शहरियों का आक्रोश और लाचारी का सालाना अनुष्ठान भी इसी मौसम के साथ आरंभ हो जाता है. पर्यावरणविद सरकार की यदा-कदा होने वाली और अप्रभावी कार्रवाई...
More »कृषि कानूनों का रद्द होना तो मलाई है, लेकिन खुरचन है इस आंदोलन की दूरगामी उपलब्धि
-द प्रिंट, ‘तो, आखिर जहां से चले थे फिर से हम वहीं पहुंच गये, है ना ? आखिर हमारा हासिल क्या रहा ?’ तीन कृषि कानूनों के खात्मे पर मनाये जा रहे जश्न से कुछ-कुछ खिन्न नजर आ रहे एक युवा कार्यकर्ता ने किसी तीर की तरह सनसनाता और चुभता यह सवाल पूछा. उसका तर्क बड़ा सीधा सा था : किसान इन तीन कृषि कानूनों के आने के पहले से ही...
More »जायज नहीं किसान आंदोलन पर बेहिसाब उम्मीदों का बोझ लादना
-कारवां, साल भर से भी ज्यादा समय हो गया है नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को पारित किए हुए. लेकिन उनके खिलाफ जारी प्रतिरोध आंदोलन आज के भारत में एक व्यापक और सतत विरोध आंदोलनों में से एक रहा है. अपनी व्यापकता और दृढ़ता के साथ यह आंदोलन विभिन्न समूहों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया और इससे सभी की अपनी-अपनी उम्मीदें रही हैं. इनमें से कई तो उन...
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