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सरकार ने राज्यसभा को बताया-CBSE स्कूलों के 327 टीचर और स्टाफ ने कोरोना से गंवाई जान

-द प्रिंट, शिक्षा राज्य मंत्री (एमओएस) सुभाष सरकार ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों के 300 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों की मौत कोविड-19 के कारण हुई है. हालांकि, उन्होंने कहा कि इनमें से किसी भी शिक्षक की मौत ‘कोविड ड्यूटी’ के दौरान नहीं हुई. उन्होंने इस संबंध में राज्य से संबंधित डेटा साझा नहीं किया. सुभाष सरकार संसद में राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार...

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बेरोज़गार भारत एक पड़ताल: केंद्र और राज्य सरकारों के 60 लाख से अधिक स्वीकृत पद खाली

-न्यूजक्लिक, मोदी सरकार के कार्यकाल में जहाँ एक और बेरोजगारी इतनी अधिक हैं, कोई नई नौकरिया नहीं हैं, वहीं दूसरी और जो सरकारी पद पहले से स्वीकृत हैं उन पर भी नियुक्ति नहीं हो रही हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के आंकड़ों पर किये गए अध्ययन से पता चलता है कि रिक्त पदों कि संख्या 60 लाख से अधिक है।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य सरकारों...

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नवोदय विद्यालय में आत्महत्याओं के मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जांच समिति गठित की

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने 2013 से 2017 के बीच जवाहर नवोदय विद्यालयों (जेएनवी) में 49 छात्रों की कथित आत्महत्या के पीछे की परिस्थितियों का पता लगाने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मंत्रालय ने 630 नवोदय विद्यालयों में से प्रत्येक में दो पूर्णकालिक काउंसलर (एक महिला एवं एक पुरुष) रखने संबंधी एक प्रस्ताव को भी मंजूरी के...

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बस्तर : गांवों से मूलभूत सुविधाएं दूर, लेकिन शिक्षा से बदलेगी तस्वीर

मोहम्मद इमरान खान, बस्तर। प्रदेश के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के विकास के लिए प्रदेश से लेकर दिल्ली तक की सरकार योजनाएं बनाकर अधोसंरचना विकास और मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने पर काम कर रही है। इस संभाग का नारायणपुर जिला ऐसा है, जहां मुख्यालय तक विकास सिमटकर रह गया है। घोषणाएं तो जिले के दूसरे गांवों के लिए भी हुईं, लेकिन आज तक ग्रामीण विकास की राह ताक रहे हैं।...

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स्कूली शिक्षा में भेदभाव की विषबेल-- प्रियंका कानूनगो

भारत की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई प्रकार से शैक्षिक भेदभाव व्याप्त है, खासतौर पर स्कूली शिक्षा में इसकी जड़ें बहुत गहरे जम चुकी हैं। इस विषबेल को खाद, पानी, पोषण देने वाला ताकतवर समूह शिक्षा का बाजारीकरण कर उस बाजार का नियंत्रक बना बैठा है, जो कि संगठित माफिया की तरह कार्यरत है। वह न केवल नियमों को तोड़ता है बल्कि मनमाफिक नियम निर्धारण में भी पर्याप्त सक्षम है।...

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