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'विंग अपस्ट्रीम: लूनी फेलोशिप' के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 31 अक्टूबर, जल्द करें आवेदन

"मूविंग अपस्ट्रीम: लूनी" कार्यक्रम वेदितम इंडिया फाउंडेशन के मूविंग अपस्ट्रीम फेलोशिप कार्यक्रम का एक हिस्सा है। वेदितम इंडिया फाउंडेशन, आउट ऑफ ईडन वॉक के साथ साझेदारी में हैं। लूनी कार्यक्रम के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के साथ साझेदारी की है और यह प्रयास A4Store और आउट ऑफ ईडन वॉक द्वारा समर्थित है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नदी और उसके आसपास के जीवन का दस्तावेजीकरण करना...

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यूपी और बिहार के गरीबों के बीच बढ़ता जा रहा है हानिकारक पैकेटबंद खाने का चलन: अध्ययन

जनपथ, 27 मार्च एक अध्ययन से पता चला है कि भारत के वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर लोग काफी मात्रा में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड का सेवन कर रहे हैं। एक ऐसे देश में जो कुपोषण के मामले में दुनिया के सबसे गंभीर दोहरे बोझ का सामना कर रहा है, सबसे कम आय वर्ग के लोग भूख का सामना करने से अस्वास्थ्यकर स्नैक्स पर निर्भर हैं। यह अध्ययन इस बात...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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जेंडर

खास बात   साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38%  फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...

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महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए

-न्यूजक्लिक, महंगाई और इससे निपटने के तरीके लोगों को असल में प्रभावित करते हैं। यह महज़ कोई आंकड़ा नहीं है, जिसे हम विशेषज्ञों की बातचीत में टीवी पर देखते हैं। बल्कि यह तय करता है कि कैसे असली संसाधन हमारे समाज में वितरित हो रहे हैं। कैसे उन तक अलग-अलग वर्ग समूहों की पहुंच सुनिश्चित हो रही है। सामान्य आदमी की इसमें कोई भागेदारी नहीं होती कि सरकार कैसे मुद्रास्फीति (महंगाई)...

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