SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 26

पानी और साफ-सफाई

खास बात - भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या 626 मिलियन है। यह संख्या 18 देशों में खुले में शौच करने वाले लोगों की संयुक्त संख्या से ज्यादा है।# -ग्रामीण इलाकों में केवल २१ फीसदी आबादी के घरों में शौचालय की व्यवस्था है।* -पेयजल आपूर्ति विभाग के आंकड़ों के हिसाब से कुल १,५०,७३४९ ग्रामीण मानव बस्तियों में से केवल ७४ फीसदी में पूरी तरह और १४ फीसदी में...

More »

देश में बढ़ती बेरोजगारी और गरीबी के बजाय जिन्ना-पटेल पर हो रही राजनीति भारत के लिए खतरनाक होगी

-द प्रिंट, भारतीय राजनीति पर नज़र रखना जिनका पुराना शगल है उन्होंने इस शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस हिंदी ट्वीट को जरूर पढ़ा होगा— ‘वे ‘जिन्ना’ के उपासक है, हम ‘सरदार पटेल’ के पुजारी हैं. उनको पाकिस्तान प्यारा है, हम माँ भारती पर जान न्योछावर करते हैं.’ आप चाहें तो इसकी उपेक्षा कर दें या इसका समर्थन करें, आपकी मर्जी. या इसे सांप्रदायिकता भड़काने वाला बयान कहें,...

More »

चुनावों में हस्तक्षेप का निर्णय कर के किसान नेताओं ने कहीं कोई खतरा तो नहीं मोल लिया है?

-जनपथ, अंततः किसान आंदोलन के नेताओं ने यह निर्णय ले ही लिया कि पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में संबंधित प्रदेशों का दौरा कर वे मतदाताओं से भाजपा को उसके किसान विरोधी रवैये के मद्देनजर सत्ता से दूर रखने की अपील करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा ने इस संबंध में पत्र के रूप में मतदाताओं हेतु एक अपील भी जारी की है। इस अपील में कहा गया है: हम केंद्र एवं भाजपा...

More »

नारों के हिंडोले और हमारी हकीकत-- शशिशेखर

अपनी 72 साला आजादी में भारत ने कुलजमा 16 आम चुनाव देखे हैं। इसके बावजूद सवाल कायम है कि हमारा लोकतंत्र सही दिशा में बढ़ रहा है या नहीं? क्या वजह है कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपने विशाल आकार को अभी वांछित प्रकार से व्यवस्थित नहीं कर सका है? बताने की जरूरत नहीं कि आजादी के बाद पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था। उस समय हिन्दुस्तान का...

More »

बजट में हो ‘भारत’ पर नजर- निशिकांत दुबे

वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट एक ऐसे वक्त में पेश होने जा रहा है, जब पूरा विश्व जटिल आर्थिक परिस्थितियों का शिकार है. विश्व की बड़ी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में अपस्फीति (डीफ्लेशन) की प्रवृत्ति एक ऐसा जोखिम बनकर उभरी है, जिसके प्रभाव से आगामी कई वर्षों के लिए वैश्विक विकास के अवरुद्ध हो जाने का खतरा मंडरा रहा है. वैसे, यह एक दूसरी बात है कि कच्चे तेल तथा अधिकांश जिंसों...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close