खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
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रेप पर मौत की सजाः कैबिनेट के अध्यादेश को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी व्यक्तियों को मृत्युदंड तक की सजा देने संबंधी अध्यादेश को आज अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। केंद्रीय कैबिनेट ने कल उस अध्यादेश को अपनी स्वीकृति दी थी जिसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार करने के दोषी ठहराये गये व्यक्ति के लिये मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने की...
More »किसान-आत्महत्याओं में कमी लेकिन खेतिहर मजदूरों की आत्महत्याओं में बढ़ती के रुझान
एक साल के दरम्यान खेती-किसानी के काम में लगे लोगों की आत्महत्या घटनाओं में 9.8 फीसद की कमी आई है- क्या इस तथ्य को खेती-किसानी की हालत में सुधार का संकेत मानें ? यह तथ्य केंद्रीय कृषि मंत्रालय के राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रौतेला के एक जवाब के जरिए सामने आया है. बजट-सत्र के दौरान राज्यमंत्री ने 20 मार्च को एक प्रश्न(संख्या-4111) के जवाब में संसद में बताया कि साल 2015 में खेती-किसानी से जुड़े 12602 लोगों...
More »किस हाल में है देश के बुजुर्ग , 2016 में कितने हुए बुजुर्गों के खिलाफ अपराध, पढ़ें इस न्यूज एलर्ट में..
बीते तीन सालों में देश की बुजुर्ग आबादी के खिलाफ हुई अपराध की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के नये आंकड़ों के मुताबिक 2016 में 60 साल या इससे ज्यादा उम्र के नागरिकों के खिलाफ देश में कुल 21,410 मामले प्रकाश में आये. साल 2014 में बुजुर्ग लोगों के खिलाफ अपराध के कुल 18,714 मामले प्रकाश में आये थे जबकि 2015 में ऐसे अपराधों की संख्या 9.7 प्रतिशत...
More »सड़कों पर हादसों के सबब --- श्रीश्चंद्र मिश्र
देश में सड़कों पर चलना कितना खतरनाक हो गया है इसका आभास सिर्फ इन आंकड़ों से हो जाता है कि पिछले साल देश में रोज औसतन 410 लोग सड़क हादसों में मारे गए। 2015 में यह आंकड़ा करीब चार सौ था। हादसों का कारण चाहे बेलगाम रफ्तार हो या सड़कों की दुर्दशा, 2014 में हर एक घंटे में औसतन सोलह लोगों को सड़क हादसों में जान गंवानी पड़ी। इस अरसे...
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