डाउन टू अर्थ, 05 अप्रैल लोकसभा 2024 को चुनावी एजेंडे में पर्यावरण के मुद्दे को प्राथिमकता में लाने के लिए जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय ने सभी राजनीतिक दलों और उनके सांसदों को अपने-अपने चुनावी घोषणा पत्र में पीपुल्स रिवर प्रोटेक्सन बिल को शामिल करने की मांग उठाई है। एक ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जन आन्दोलन के राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि ‘2024 के लोकसभा चुनावों के...
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एक खोखला आश्वासन: कैसे मोदी सरकार ने वन संरक्षण से मोड़ लिया मुंह
द रिपोर्टर्स कलेक्टिव, 19 सितम्बर नई दिल्ली: जुलाई 2017 में डॉ. हर्षवर्धन भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मामलों के केंद्रीय मंत्री हुआ करते थे। उस समय डाॅक्टर हर्षवर्धन ने संसद में आश्वासन दिया था," एक नई वन नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है और यह जल्द ही तैयार हो जाएगा"। मौजूदा वन नीति करीब 29 साल पुरानी हो चुकी थी। नई वन नीति का मकसद सभी तीन...
More »ग्रीन क्रेडिट से पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन, लेकिन चाहिए मजबूत नियामक तंत्र
मोंगाबे हिंदी, 23 अगस्त केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने टिकाऊ विकास और पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए “ग्रीन क्रेडिट” स्कीम का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके तहत व्यक्ति, संगठन और उद्योग पर्यावरण के लिए फायदेमंद मानी जाने वाली स्वैच्छिक गतिविधियों के लिए ग्रीन क्रेडिट पा सकते हैं। लेकिन जानकारों ने चेतावनी दी है कि उचित निगरानी या मजबूत नियामक तंत्र के बिना, यह योजना ग्रीनवॉशिंग (पर्यावरण को बचाने से जुड़े...
More »कॉप-26: वनों से भरपूर भारत ग्लासगो घोषणा-पत्र से पीछे क्यों हटा?
-डाउन टू अर्थ, दुनिया के वनों से भरपूर शीर्ष दस देशों में शामिल भारत ने जलवायु परिवर्तन पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन, कॉप-26 में उस घोषणा-पत्र से दूरी बनाए रखी, जिसमें सौ से ज्यादा देशों के नेताओं ने वनों को बचाने का संकल्प लिया गया। यह सम्मेलन स्कॉटलैंड के ग्लासगो में चल रहा है। एक भारतीय प्रतिनिधि के मुताबिक, भारत ने इस घोषणा-पत्र के तैयार मसौदे में आधारभूत संरचनात्मक विकास...
More »पर्यावरण अधिसूचना का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने से इसके मतलब बदल जाएंगे: केंद्र
-द वायर, दिल्ली हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना-2020 के ड्राफ्ट को 22 भाषाओं में अनुवाद करने के अदालत के निर्देश का विरोध किया है. केंद्र सरकार की ओर से मंत्रालय ने दावा किया कि ऐसा करने के लिए किसी कानून की मंजूरी प्राप्त नहीं है और इसके चलते आगामी विधि निर्माण में भी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. केंद्र की ओर से कहा...
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