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खतरे में हिल स्टेशन: शिमला और मनाली की तबाही के लिए दोषी कौन?

डाउन टू अर्थ, 3 नवम्बर हिमालयी राज्यों में पर्यटन का केंद्र बने पहाड़ी शहरों में बढ़ रही आपदाओं की पड़ताल करती यह रिपोर्ट डाउन टू अर्थ, हिंदी पत्रिका की आवरण कथा की दूसरी कड़ी हैत्र इससे पहले की कड़ी में आपने पढ़ा: आवरण कथा, खतरे में हिल स्टेशन: क्या जोशीमठ के 'सबक' आ सकते हैं काम?     माना जाता है कि शिमला शहर 18वीं शताब्दी में एक घना जंगल था। 1864...

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मैंग्रोव के निर्माण से लाभान्वित हो रहा गुजरात का तटीय समुदाय, आजीविका के साथ पर्यावरण को फायदा

मोंगाबे हिंदी, 20 जुलाई ऐसा लग रहा था कि यह दलदल कभी ख़त्म नहीं होगा। जब मैं घुटनों तक दलदल में चली गई, तो सिर्फ़ केकड़ ही मेरे साथ थे। मुझसे महज 10 फुट आगे चल रहे मेरे फील्ड गाइड की आवाज़ शोर और हवा के चलते धीमी हो गई थी। मेरे पास उनके साथ तालमेल बिठाने का कोई रास्ता नहीं था। यहां जूते बेकार थे। मैं उनसे बहुत पहले ही...

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खबरदार

  खास बात • गंगोत्री ग्लेशियर सालाना ३० मीटर की गति से सिकुड़ रहा है।* • अगर समुद्रतल की ऊंचाई एक मीटर बढ़ती है तो भारत में ७० लाख लोग विस्थापित होंगे।* • पिछले बीस सालों में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी जिवाश्म ईंधन के दहन से हुई है।* • मानवीय क्रियाकलापों के कारण ग्लोबल ग्रीन हाऊस गैस के उत्सर्जन में लगातार बढोत्तरी हो रही है। अगर औद्योगीकरण के पहले के समय से तुलना करें तो मानवीय क्रियाकलापों...

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60 दिन का लॉकडाउन बनाम 60 साल के पर्यावरणीय प्रोटोकॉलः कुछ नीतिगत सुझाव

-जनपथ, कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक लॉकडाउन ने भले ही तमाम देशों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचे को अस्त-व्यस्त कर दिया हो लेकिन पर्यावरण के लिए यह काल बहुत सुखद साबित हुआ है. विश्व भर से आ रहे तमाम आंकड़ों से स्पष्ट हो रहा है कि विगत 60 दिनों में पर्यावरणीय स्थिति में जो सुधार देखने को मिला है वह 60 वर्षों में किये गये तमाम प्रयासों और जलवायु परिवर्तन के...

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प्राथमिकता नहीं है पर्यावरण-- ज्ञानेन्द्र रावत

पर्यावरण क्षरण का प्रश्न आज समूचे विश्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है. कई रिपोर्टों, वैज्ञानिक अध्ययनों और शोधों ने रेखांकित किया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उपजे खराब मौसम से प्रलयंकारी घटनाएं बढ़ेंगी. तेजी से बढ़ते तापमान के चलते गर्मी में लोगों की मौत का सिलसिला बढ़ेगा. ग्लेशियरों का पिघलना तेज होगा, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ेगा. ऐसे में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना आसान नहीं...

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