द वायर, 26 फरवरी पूर्वोत्तर दिल्ली में 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता में गठित एक फैक्ट फाइंडिंग समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने साफ तौर पर हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों की तैनाती में देरी की, जबकि सांप्रदायिक दंगे 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच बेरोकटोक जारी रहे. समिति...
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बस्तर में पुलिस गोलीबारी में तीन गोंड प्रदर्शनकारियों की मौत पर बेला भाटिया और ज्यां द्रेज का बयान
17 मई को बस्तर के सिलगर में पुलिस फायरिंग में गोंड जनजाति के तीन प्रदर्शनकारी मारे गए. कवासी वागा, उर्सम भीमा और नाबालिग उइका पांडु गांव की सहमति लिए बिना सिलगर में सीआरपीएफ द्वारा स्थापित एक नए शिविर का विरोध कर रहे थे. सीआरपीएफ जवानों द्वारा उत्पीड़न का संदेह जताते हुए सिलगर और आसपास के गांवों के आदिवासी 14 मई से शिविर का विरोध कर रहे हैं. 22 मई को...
More »दिल्ली दंगों पर अपनी जाँच रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
-बीबीसी, मानवाधिकारों पर काम करने वाला अंतरराष्ट्रीय ग़ैर-सरकारी संगठन (एनजीओ), 'एमनेस्टी इंटरनेश्नल' ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में इस साल फ़रवरी में हुए दंगों पर अपनी स्वतंत्र जाँच रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस पर दंगे ना रोकने, उनमें शामिल होने, फ़ोन पर मदद मांगने पर मना करने, पीड़ित लोगों को अस्पताल तक पहुंचने से रोकने, ख़ास तौर पर मुसलमान समुदाय के साथ मारपीट करने जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं. दंगों के...
More »यूनियन कार्बाइड से लेकर फेसबुक और ब्लूम्सबरी तक सभी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपनाती हैं दोहरा मानदंड
-कारवां, क्या भोपाल गैस त्रासदी के वक्त यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन सीईओ वारेन एंडरसन, फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और ब्लूम्सबरी के सीईओ नाइजिल न्यूटन के बीच कोई समानता है? उनमें एक समानता उनका यह विश्वास है कि उन्हें भारत में कारोबार करते हुए उन मानकों का पालन नहीं करना होगा जो वे पश्चिमी लोकतंत्र में कारोबार करते समय अपनाते हैं. इन लोगों को विश्वास है कि मुनाफे के लिए वे भूतपूर्व...
More »पत्रकारिता के शीर्ष कुलदीप नैयर-- नीरजा चौधरी
भारतीय पत्रकारिता के बड़े आधार-स्तंभों में से एक कुलदीप नैयर अब हमारे बीच नहीं रहे. मैं उन्हें भारतीय पत्रकारिता जगत का लिजेंड मानती हूं. मैं उनके काम करने के तरीके और उनकी पत्रकारिता को जितना नजदीक से जानती हूं, कह सकती हूं कि आज तकनीकी के इस दौर में भी कोई पत्रकार वैसा काम नहीं कर सकता. जिस तरीके से वे फैक्ट फाइंडिंग करते थे, उसमें कहीं भी कोई एकपक्षीय...
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