-द वायर, दो महीने के कड़े लॉकडाउन के बावजूद भी आज कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. लॉकडाउन के दौरान सरकार ने चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के कोई प्रयास नहीं किए. इसका नतीजा है कि हर तीन में से दो जिलों के पास आज भी कोरोना जांच का इंतजाम नहीं है. राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में भी लोग बेड के अभाव में मर रहे हैं. मजदूरों को अमानवीय क्वारंटीन...
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बुजुर्गों को पेंशन देने के पैसे नहीं, और एनआरसी पर लाखों करोड़ खर्च रही सरकार
21 जनवरी को दिल्ली के 20 से अधिक संगठनों मिलकर जंतर मंतर पर पेंशन परिषद के बैनर तले पेंशन के मुद्दे पर ‘पेंशन नहीं तो वोट नहीं’ धरने का आयोजन किया। इस धरना रैली में दिल्ली एनसीआर के कोने-कोने से हजारों की संख्या में लोग एकजुट हुए और मंच से अपनी तकलीफें साझा की। इसमें सेक्स वर्कर, विकलांग, बेघर, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, ट्रांसजेंडर, एकल व विधवा महिलाएं, बुजुर्ग अपने...
More »झारखंड सरकार के प्रस्ताव को केंद्र की सहमति, नगड़ी में अनाज वितरण की डीबीटी योजना खत्म
रांची : नगड़ी में पहल नाम से अक्तूबर 2017 में शुरू की गयी अनाज वितरण की डीबीटी पायलट योजना समाप्त कर दी गयी है. इस संबंध में भेजे गये राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने सहमति दे दी है. अब नगड़ी में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के बजाय लाभुकों को एक रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर से अनाज मिलेगा. मालूम हो कि भोजन का अधिकार अभियान...
More »बुजुर्गों की बदहाली-- मणींद्र नाथ ठाकुर
कहा जा रहा है कि दुनिया अब बूढ़ी हो रही है. पचास के दशक की तुलना में 21वीं शताब्दी में साठ साल से ऊपर की उम्र के लोगों की संख्या तीन गुनी ज्यादा हो जायेगी. भारत में भी लगभग आठ प्रतिशत जनसंख्या साठ से ऊपर है, बिहार जहां अपेक्षाकृत युवा ज्यादा हैं, वहां भी यह प्रतिशत सात से कम नहीं है. लेकिन दुनिया के विकसित देशों की तरह भारत में...
More »बुढ़ापे में मिट गए अंगुलियों के निशान, आधार बिना तरसे बुजुर्ग
बुढ़ापा किस कदर लोगों का जीना मुहाल कर देती है, इसे जानना हो तो बरेली की इस खबर का रुख करें. यहां के बृद्धाश्रमों में लोगों की आजकल निंद हाराम हो गई है. क्योंकि इनके पास आधार न होने के कारण इन्हें तो कोई सुविधा मिल पा रही है और न ही पेंशन. अगर कोई बुजर्ग आधार बनवाना भी चाहता है तो फिंगरप्रिंट मशीन उनके अंगूलियों के निशान नहीं ले...
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