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बिगड़ रही खेतों की सेहत, हर साल उत्पादन को हो रहा प्रति हेक्टेयर 3,654 रुपए का नुकसान

डाउन टू अर्थ,11 दिसम्बर  भारत में भूमि गुणवत्ता में आती गिरावट से कृषि उत्पादकता को हर वर्ष औसतन 3,654 रुपए प्रति हेक्टेयर का नुकसान हो रहा है। बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के शोधकर्ताओं द्वारा नुकसान की यह गणना 2011-12 की कीमतों के आधार पर की गई है। वहीं रिसर्च में यह भी सामने आया है कि भू-क्षरण में एक फीसदी की वृद्धि के चलते कृषि उत्पादकता को होने...

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लंपी रोग फिर लौटा, चार राज्यों में फैला, बगैर वैक्सीनेशन के स्थिति बदतर होने की आशंका

 रूरल वॉयस, 19 मई पिछले साल मई और जून में देश के दर्जन भर राज्यों में करीब एक लाख गौवंश की बलि लेने वाले लंपी स्किन रोग (एलएसडी) ने इस साल भी दस्तक दे दी है। आने वाले दिनों में इसके तेजी से फैलने की आशंका है क्योंकि यह रोग इसी समय फैलता है। इस समय लंपी रोग का सबसे अधिक असर उत्तराखंड में है। हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में...

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चारा संकट की जड़ें, भाग एक: हरित क्रांति के समय से शुरू हो गई थी समस्या

डाउन टू अर्थ, 15 मई  भारत विश्व की 20 प्रतिशत पशुधन आबादी के साथ सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है। संयुक्त राष्ट्र के कृषि एवं खाद्य संगठन के अनुसार, यहां के 70 प्रतिशत परिवार आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि एवं इससे जुड़े व्यवसाय पर निर्भर हैं। पशुपालन आदि काल से ही मानव सभ्यता के साथ जुड़ा रहा है, परंतु पिछले कुछ सालों में चारे की बढ़ती...

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कृषि मिट्टी ने 30-75% निहित जैविक कार्बन पूल खो दिया है: ICAR पेपर

इंडियास्पेंड, 18 फरवरी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, वर्तमान तकनीकी समीक्षा के परिणामों से पता चला है कि कृषि मिट्टी ने अपने निहित मिट्टी कार्बनिक कार्बन (SOC) पूल का लगभग 30-75 प्रतिशत खो दिया है, जो कि " काफी चिंताजनक "। कृषि भूमि उपयोग प्रणालियों में, वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में वृद्धि फसल भूमि की लगातार खेती, फसल अवशेषों, बायोमास जलाने, स्थानांतरित खेती, कम...

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मौसम विभाग की रिपोर्ट ; पांचवां सबसे गर्म साल रहा 2022

भारत में मौसमी घटनाओं के कारण वर्ष 2022 में 2,227 लोगों की जाने चली गई। सबसे अधिक मौतें बिहार राज्य (418) से हुई हैं। उसके बाद असम से 257, उत्तर प्रदेश से 201, ओडिशा से 194 और महाराष्ट्र के 194 लोगों की जीवन लीला मौसमी कारकों के कारण समाप्त हो गई। मौसम विभाग की रपट के अनुसार; इसके पीछे की वजहों को देखें तो सबसे बड़ा कारक आकाशीय बिजली और आंधी–तूफान है।...

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