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सुरक्षा बलों से फर्जी गिरफ्तारियां करवा कर क्या हम उन्हें भ्रष्ट नहीं बना रहे हैं?

-जनपथ, 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हैं। कोविड के कुप्रबंधन, पंचायत चुनावों में करारी हार व राम मंदिर के लिए अयोध्या में भूमि घोटाला से भारतीय जनता पार्टी को अपनी सियासी जमीन खिसकती नजर आ रही थी। अब उसने आंतकवाद के नाम पर राजनीतिक ध्रुवीकरण का पुराना खेल शुरू किया है। लखनऊ में 11 जुलाई, 2021 को आतंकवाद निरोधक दस्ता ने 30 वर्षीय मिनहाज अहमद पुत्र सिराज अहमद को दुबग्गा से...

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जिस तरह अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जेल में मार डाला, उसी तरह भारत सरकार ने स्टेन को: स्वामी के साथी

-आउटलुक, "लेकिन हम फिर भी समूहों में गाएंगे,  पिंजरे में बंद पंछी अभी भी गा सकता है।" ये शब्द किसी और के नहीं बल्कि फादर स्टेन स्वामी के थे, जिन्होंने जेल से अपने एक साथी जेसुइट पादरी को लिखे पत्र में कहा था। दोनों हाथों में लगातार झटके के साथ तेज पार्किंसंस बीमारी से पीड़ित स्टेन ने पत्र लिखने के लिए इस दर्द को उठाया, क्योंकि वो अन्य कैदियों की दुर्दशा को उजागर...

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सीबीआई एक ऐसा तोता है जिसे सभी राजनीतिक दल आजाद तो रखना चाहते हैं लेकिन तभी जब विपक्ष में हों

-सत्याग्रह, सीबीआई फिर सुर्खियों में है. दिल्ली की एक अदालत ने मोइन कुरैशी मामले की जांच के प्रभारी उसके संयुक्त निदेशक को एक समन भेजा है. इसमें उन्हें 17 नवंबर को पेश होने को कहा गया है. अदालत उनसे इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशकों एपी सिंह और रंजीत सिन्हा की भूमिका के बारे में जानना चाहती है. वह इस हाई प्रोफाइल केस में जांच की धीमी गति से नाराज...

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क्या बैंक निजीकरण सही हल है?

भारत जैसे विशाल देश में 136 करोड़ लोगों के विकास की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बनी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में सरकारी बैंक प्रमुख भूमिका निभाते हैं. यदि ये न हों, तो विशालकाय केंद्रीय योजनाएं जैसे कि जन-धन योजना, मुद्रा योजना आदि कभी लागू ही न हो सकें. इन्हीं से ही व्यापक सामाजिक उत्थान का स्वप्न देखने में सरकार को एक ठोस धरातल मिलता है. यूनाईटेड बैंक आॅफ...

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भरोसा बरकरार रखने की चुनौती - प्रदीप सिंह

पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले ने सरकारी बैंकों, बैंकों का ऑडिट करने वाली संस्थाओं और बैंकों के कामकाज पर निगरानी रखने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इससे यह भी साबित हुआ है कि सरकारी बैंकों में नियुक्त होने वाले निदेशक और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि सहित सब या तो गाफिल थे या शरीके जुर्म। वजह कुछ भी हो, वास्तविकता यही है कि...

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