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लुप्त होती परंपरा बचाने के लिए केरल के आदिवासियों ने दोबारा शुरू की बाजरे की खेती

मोंगाबे हिंदी, 20 मार्च केरल के अट्टापडी हाइलैंड्स में आदिवासी बस्तियों के किनारे पहाड़ी जंगलों में एक बार फिर से बाजरा के लहलहाते खेत नजर आने लगे हैं। यह इलाका पश्चिमी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र में पड़ता है, जो एक आदिवासी बेल्ट है। कुछ समय पहले तक आदिवासी बाजरे की खेती से दूर जाने लगे थे। लेकिन आज बदलाव साफ देखा जा सकता है। इसके पीछे की बड़ी वजह न...

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अन्यत मिलेटः अरुणाचल की थाली में वापस आ रहा पारंपरिक खान-पान से जुड़ा मोटा अनाज

मोंगाबे हिंदी, 22 दिसम्बर  माटी पर्टिन अब इस दुनिया में नहीं है। 97 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।  जैसे-जैसे पर्टिन की उम्र बढ़ती गईं, उन्हें अन्यत (एक तरह का मोटा अनाज) की खूब याद आती थी। दरअसल, वह इसी अनाज को खाकर बड़ी हुई थी। उनकी पोती डिमम पर्टिन ने कहा, दादी के युवावस्था में यह मोटा अनाज खान-पान का अहम हिस्सा था। तब वह अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी...

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डाउन टू अर्थ खास: मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति जैसी गलती तो नहीं दोहरा रहे हैं हम!

डाउन टू अर्थ, 24 अप्रैल भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में दिए एक प्रस्ताव के आधार पर वर्ष 2023 को इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया गया है। वैश्विक स्तर पर मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते भारत इससे लाभान्वित हो सकता है। 1960 के दशक में हरित क्रांति के बाद से भारत ने गेहूं और धान पर ही ध्यान केन्द्रित कर दिया था। लेकिन, हाल के समय...

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पी.वी. सतीश : लीक से हटकर लकीर खींचने वाले शख्स

बिना शोरगुल मचाए उसने काम किया। न काम का श्रेय लिया; बस अपने हिस्से का काम किया। और एक दिन इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनका जाना भी खामोशी की तहों में छिप गया। लेकिन, पहले भी उनका काम बोल रहा था और आज भी उनका काम बोल रहा है।  पी.वी. सतीश; पेरियापटना वेंकटसुब्बैया सतीश। आपकी पैदाइश सन् 1945 के जून महीने की है। जन्म, कर्नाटक के मैसूर जिले के खाते–पीते...

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पोषक अनाजों की खेती:- वर्तमान और भविष्य

पोषक अनाजों की अहमियत को समझते हुए भारत सरकार ने खाद्य और कृषि संगठन के सामने एक प्रस्ताव रखा था। नतीजन पूरी दुनिया, वर्ष 2023 को, अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रही है।भारत,दुनिया में पोषक अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। साल 2020 में विश्व के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसदी के आस–पास थी। पढ़िए इस लेख में पोषक अनाजों पर विस्तार से; प्राचीन...

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