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हसदेव अरण्य: विधानसभा के संकल्प, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

मोंगाबे हिंदी, 19 फरवरी छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित हसदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल से लेकर विधानसभा तक ने, हसदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दे कर किसी नई कोयला खदान को गैरज़रुरी बताया है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी 1878 वर्ग किलोमीटर में फैले हसदेव अरण्य के घने जंगल में कोयला...

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जम्मू कश्मीर: सेब के हज़ारों ट्रक हाईवे पर फंसने के चलते करोड़ों की फसल सड़ने की कगार पर

द वायर, 30 सितम्बर एप्पल फारमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफएफआई) ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से एक शिकायत में कहा है कि जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अनियंत्रित यातायात के कारण घाटी के सेब किसानों को भारी नुकसान हुआ है. द हिंदू के मुताबिक, देश के विभिन्न बाजारों में भेजे जाने वाले करीब 5,000 सेब से भरे ट्रक राजमार्ग पर फंसे हुए हैं और किसानों को डर है कि इससे न...

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किसान आंदोलन: दायरा बढ़ाकर राष्ट्रीय मंच बनाने की जरूरत

-रूरल वॉइस, किसान नेता राकेश टिकैत ने कुछ महीने पहले कहा था कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो साल 2024 तक किसान दिल्ली के बॉर्डरों पर धरने पर बैठने को तैयार हैं ।  टिकैत ने यह बयान तब दिया था जब किसान नेताओं औऱ सरकार  के बीच  लगातार बढ़ती  तनातनी के बीच जनवरी के बाद से सरकार  की तरफ  से औपचारिक बातचीत भी बंद हो गई । लेकिन...

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बात बोलेगी: बिजली आ गयी है, लेकिन अर्द्ध-सत्य का अंधेरा कायम है!

-जनपथ, बिजली का संकट बिना कुछ किये ही टल गया। पूरा देश, भर उम्मीद था कि अब होगा अंधेरा और वो भी अनिश्चितकालीन। कोयला खत्म। आपूर्ति ठप। प्लांट बंद। खबरें शुरू। बहसें चालू। मंत्री और मंत्रालय सक्रिय। राज्य सरकारों व केंद्र सरकार के बीच सच-झूठ की चर्चाएं। आरोप-प्रत्यारोप के दौर। और अंत में निष्कर्ष- अंधेरे में होगा देश, दीवाली में दीये का सहारा, मैं नागिन तू सँपेरा जैसी तुकबंदी के साथ...

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अडानी के खनन से हसदेव का जंगल बचाने के लिए आदिवासियों की ऐतिहासिक पदयात्रा

-जनपथ, कोयला खनन के विरोध में सरगुजा और कोरबा जिले के 30 गांवों के 350 से अधिक आदिवासी ‘हसदेव बचाओ पदयात्रा’ के बैनर तले पदयात्रा कर रहे हैं। ग्रामीणों ने अपनी यात्रा मदनपुर ग्राम से शुरू की और 10 दिनों में 300 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए वे राजधानी रायपुर पहुंच रहे हैं, जहां वे अपनी मांगों को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सौंपेंगे। आदिवासियों ने इसका...

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