कहते हैं हकीकत कल्पना से कहीं ज्यादा हैरतअंगेज होती है। ऐसी ही हैरतअंगेज हकीकत है कि भारत में बीते बीस सालों में तेज आर्थिक-वृद्धि हुई है लेकिन गरीब कामगारों की तादाद में कोई खास कमी नहीं आई है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन(आईएलओ) के एक हालिया रिपोर्ट (इकॉनॉमिक क्लास एंड लेबर मार्केट इन्क्लूजन: पुअर एंड मिडिल क्लास वर्कर्स इन डेवलपिंग एशिया एंड द पैसेफिक) में कहा गया है कि भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में ज्यादातर (91 फीसदी) कामगार “एकदम गरीब”...
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मनरेगा के तहत रोजगार सृजन पर रमेश ने की पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना
नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (एजेंसी) मनरेगा के तहत रोजगार सृजन नहीं करने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र के माध्यम से पंचायतों को मजबूत बनाने को कहा है जो कि गांवों में रोजागार का प्रमुख माध्यम बने। रमेश ने कहा कि ‘पर्याप्त कोष की उपलब्धता के बावजूद’ राज्य सरकार ग्रामीण रोजगार योजना के तहत रोजगार...
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एक नजर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगातार ऊंची बनी होने के बावजूद भारत अपनी ग्रामीण जनता की जरुरत के हिसाब से मुठ्ठी भर भी नये रोजगार का सृजन नहीं कर पाया है। नये रोजगारों का सृजन हो रहा है लेकिन यह अर्थव्यवस्था के ऊंचली पादान के सेवा-क्षेत्र मसलन वित्त-जगत, बीमा, सूचना-प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के दम पर चलने वाले हलकों में हो रहा है ना कि विनिर्माण और आधारभूत ढांचे के...
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