धनंजय प्रताप सिंह/वैभव श्रीधर,भोपाल। बजट के जरिए सियासत साधने की कोशिश हर सरकार करती आई है और आने वाले बजट में ये कोशिश निश्चित तौर पर नजर आने वाली है। 1 मार्च को आने वाले प्रदेश के बजट में सड़क,बिजली,पानी और अधोसंरचना के बजाए सामाजिक योजनाओं के बहाने सोशल इंजीनिरिंग पर ज्यादा फोकस हो सकता है। वैसे इस फार्मूले की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने की थी।लेकिन इसे सही...
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रोजगार-सुरक्षा से आएंगे महिलाओं के अच्छे दिन
अपने चुनावी अभियान में मोदी सरकार ने महिलाओं में ‘सुरक्षित दिनों' की खूब उम्मीदें जगाई थीं, लेकिन पिछले बजट में इसे लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बजट में महिला सुरक्षा को लेकर बड़े ऐलान कर सकती है। महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार में नए अवसर पैदा करने वाली योजनाएं भी लाई जा सकती हैं। पांच बड़े वादे संविधान संशोधन के जरिए...
More »बेटी जन्म लेने पर मिलेंगे पांच हजार, श्रम विभाग ने शुरू की योजना
रांची. राज्य सरकार मजदूरों को तीन बड़ी सौगातें देने जा रही है। अब जिस रजिस्टर्ड मजदूर के घर बेटी जन्म लेगी, सरकार की ओर से उसे पांच हजार रुपए दिए जाएंगे। मजदूरों का स्वास्थ्य बीमा किया जाएगा और असाध्य रोग के इलाज में मदद भी की जाएगी। इस योजना का लाभ एपीएल और बीपीएल परिवारों को मिलेगा। श्रम मंत्री केएन त्रिपाठी ने मंगलवार को सरस्वती लाडली योजना शुरू करने की घोषणा...
More »बाल विकास परियोजना के ढेरों काम
मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना झारखंड में बाल विकास परियोजना के तहत मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना संचालित है. इस योजना का उद्देश्य राज्य में कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, बालिकाओं के जन्म के प्रति लोगों की सोच में बदलाव लाना, बालिकाओं की शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाना और बाल विवाह को रोकना है. राज्य में यह योजना 15 नवम्बर 2011 से लागू हुई. क्या है योजना इस योजना का लाभ उन...
More »मध्यप्रदेश में महिलायें और शहर बढ़े, लड़कियां और गांव घटे
जनसत्ता ब्यूरो, भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से लाडली लक्ष्मी योजना और बेटी बचाओ अभियान चलाए जाने के बावजूद मध्य प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या की चिंतनीय स्थिति सामने आई है। ताजा जनगणना के मुताबिक बीते एक दशक में प्रदेश में स्त्री-पुरुष अनुपात तो बढ़ा है लेकिन 0 से छह साल तक के बच्चों का लिंगानुपात खासा घट गया है। यानी महिलाएं तो बढ़ गई हैं लेकिन लड़कियां...
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