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असम में पर्यावरण प्रभाव आकलन मसौदे (EIA 2020) का विरोध, बाघजान और डेहिंग पटकई से सीख लेने की अपील

-गांव कनेक्शन, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्टविवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना (ईआईए,2020) को एंटी-नॉर्थइस्ट (पूर्वोत्तर विरोधी) कहा जा रहा है। वैसे तो ईआईए में संशोधित प्रस्तावाओं का देशभर में विरोध हो रहा है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ईआईए के अपने निहितार्थ है। असम और ड्राफ्ट ईआईए 2020 1984 भोपाल गैस त्रासदी के बाद 1986 में पहली बार भारत में पर्यावरण संरक्षण कानून बनाया गया था। इसी कानून के तहत...

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आखिर क्यों पलायन करते हैं बुंदेलखंड के लाखों लोग, मनेरगा में काम न मिलना भी बड़ी वजह?

-गांव कनेक्शन, "अगर हमें यहां काम मिलता रहता तो हम गांव छोड़कर क्यों जाते ? हमें इधर लॉकडाउन में सिर्फ 12 दिन का मनरेगा में काम मिला है, इसके 5 साल पहले मनरेगा में काम मिला था। जब काम नहीं मिला तो हमारे जैसे गांव के बहुत से लोग कमाने के लिए शहर चले गए।" उत्तर प्रदेश में ललितपुर जिले के बालाबेहट गांव की गुड्डी बताती हैं। गुड्डी के गांव के...

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पेंशन के लिए भटक रहे मध्‍यप्रदेश के दिव्यांग, व्यवस्था पर हावी लालफीताशाही

भोपाल। प्रदेश में सामाजिक न्याय विभाग से दिव्यांगों के लिए मिलने वाली पेंशन वितरण व्यवस्था लालफीताशाही की शिकार हो गई। पेंशन पाने के लिए बड़ी संख्या में दिव्यांग दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। राजधानी सहित जबलपुर, दमोह, छतरपुर और सागर में भी पेंशन के कई प्रकरण अटके पड़े हैं। राजधानी भोपाल की एक दिव्यांग युवती के परिजनों को पेंशन संबंधी शिकायत सीएम हेल्पलाइन में करना मुसीबत बन गया। उस...

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नदी पुनर्जीवन ही विकल्प-- सुरेश उपाध्याय

माना जाता है कि सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है। लेकिन हम जिस दौर में जी रहे हैं और विकास की जिस अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए हैं, उसने सबसे पहला हमला हमारी नदियों पर ही किया है। एक ओर नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है तो दूसरी ओर कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। नदियों के शुद्धीकरण...

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इंफ्रा-मुखी लुभावना बजट-- प्रमोद जोशी

भारत का बजट लोक-लुभावन राजनीति, राजकोषीय अनुशासन और अर्थशास्त्रीय नियमों की रोचक चटनी होता है. इसकी बारीकियां केवल वित्त मंत्री का भाषण सुननेभर से समझ में नहीं आतीं. अलबत्ता पहली नजर में सार्वजनिक प्रतिक्रिया समझ में आ जाती है. इस लिहाज से इस बार का बजट काफी बड़े वर्ग को खुश करेगा. इसमें सामाजिक क्षेत्र का ख्याल है, ग्रामीण क्षेत्र की फिक्र है, साथ ही छोटे करदाता की परेशानियों को...

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