खास बात साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @ तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @ एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। # साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी...
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ठंड में कहां जाएं गरीब व बेसहारा
दुनिया के ज्यादातर देशों में लोकतंत्र है और जहां नहीं हैं वहां लोकतंत्र बहाली के आंदोलन चल रहे हैं क्योंकि सैद्धांतिक तौर पर लोकतंत्र में व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा को सर्वाधिक महत्व प्राप्त है। लेकिन, आधुनिक लोकतंत्र को सर्वाधिक आकर्षक बनाने वाली यही बात उसे अंतर्विरोधी भी बनाती है। किसी व्यक्ति या व्यक्ति समूह की आजादी के मूल्य को ज्यादा तरजीह दी जाय तो वह शेष व्यक्तियों की आजादी, आपसी बराबरी और भाईचारे में...
More »ऐसे हो सकता है देश की जीडीपी में 27 फीसद का इजाफा !
दुनिया में 86 करोड़ 50 लाख महिलाएं अर्थव्यवस्था में योगदान के बावजूद बिना कमाई के जीवन गुजारने को बाध्य हैं। इस तादाद का 94 फीसद विकासशील देशों में है जबकि 6 फीसद विकसित देशों में। साल 2020 तक अर्थव्यवस्था से बाहर जीवन बिताने वाली महिलाओं की तादाद तकरीबन 1 अरब यानी भारत या फिर चीन की कुल आबादी के बराबर हो जाएगी। क्या अर्थव्यवस्था से बाहर जीवन बिताने को बाध्य महिलाओं की यह तादाद आर्थिक...
More »असरदार फनकारों के चमत्कार- शांतनु गुहा रे
अपनी तिकड़मों और पहुंच के ज़रिए हर सरकारी ताले को खोलने की क्षमता और हर लाल फीते की काट रखने वाले असरदार लोगों की सर्वव्यापी मगर अदृश्य दुनिया...शांतनु गुहा रे की रिपोर्ट . पिछले महीने का एक शांत मंगलवार. मध्य दिल्ली के एक पांच सितारा होटल की सबसे ऊपरी मंज़िल. रेस्टोरेंट की दर्जनों मेजों में से सिर्फ चार पर ही लोग नज़र आ रहे हैं. एक मेज पर एक पूर्व वरिष्ठ...
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