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आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की जांच करती आरबीआई की रिपोर्ट

मोंगाबे हिंदी, 10 अगस्त भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2022-23 के लिए मुद्रा और वित्त रिपोर्ट (आरसीएफ) में मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन पर ध्यान दिया है। यह भारत में केंद्रीय बैंकिंग और व्यापक आर्थिक मुद्दों से संबंधित समसामयिक मुद्दों पर एक थीम-आधारित वार्षिक रिपोर्ट है। इस साल की रिपोर्ट नीतिगत प्राथमिकता के रूप में जलवायु लक्ष्यों पर जोर देती है और भारत के लिए जलवायु परिवर्तन के संभावित व्यापक-वित्तीय परिणामों...

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महंगाई "वास्तविक" है और इसका समाधान भी वास्तविक होना चाहिए

-न्यूजक्लिक, महंगाई और इससे निपटने के तरीके लोगों को असल में प्रभावित करते हैं। यह महज़ कोई आंकड़ा नहीं है, जिसे हम विशेषज्ञों की बातचीत में टीवी पर देखते हैं। बल्कि यह तय करता है कि कैसे असली संसाधन हमारे समाज में वितरित हो रहे हैं। कैसे उन तक अलग-अलग वर्ग समूहों की पहुंच सुनिश्चित हो रही है। सामान्य आदमी की इसमें कोई भागेदारी नहीं होती कि सरकार कैसे मुद्रास्फीति (महंगाई)...

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बजट 2022-23: पूंजीगत लाभ कर, और परिसंपत्ति-मूल्य

-आइडियाज फॉर इंडिया, परिसंपत्ति-मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित कराने की आवश्यकता होते हुए भी, वर्ष 2022-23 के बजट में इक्विटी निवेश पर पूंजीगत लाभ कर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इस लेख के ज़रिये, गुरबचन सिंह संपत्ति-मूल्य स्थिरता बनाए रखने में एक नीति के रूप में कर की कल्पना की जांच करते हैं, कैसे पूंजीगत लाभ कर इस संदर्भ में बाधाएं पैदा करता है, और कर कानूनों में राजस्व-तटस्थ परिवर्तन कैसे...

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अर्थव्यवस्था की खातिर मोदी और RBI के लिए 2022 का मंत्र- शांति से सुधार जारी रखें

-द प्रिंट,  भारत जब वर्ष 2022 में प्रवेश कर रहा है, नरेंद्र मोदी सरकार के लिए ये कई चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं- कोविड की नयी लहर, वृहत अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर स्थिरता बनाए रखना, आर्थिक वृद्धि की दर में सुधार के लिए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाना. ओमीक्रॉन भारत को कोविड की नयी लहर का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन व्यापक टीकाकरण, वाइरस से लड़ने की क्षमता में वृद्धि और हमारी...

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कॉप-26: भारत में 25 गुना तक बढ़ जाएगा लू का कहर!

-न्यूजलॉन्ड्री, जी20 देशों पर जारी एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कार्बन उत्सर्जन तेजी से बढ़ता रहा तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है. जिसके चलते 2036 से 2065 के बीच भारत में लू का कहर कहीं ज्यादा बढ़ जाएगा. अनुमान है कि इसके सामान्य से 25 गुना अधिक समय तक रहने की आशंका है. इस रिपोर्ट को...

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