-डाउन टू अर्थ, हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि दुनिया भर में करीब 400 करोड़ लोग आज भी खाना पकाने के लिए लकड़ी, कोयला, केरोसिन और गोबर जैसे ईंधन पर निर्भर हैं| यह ईंधन बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं, जिसका असर ने केवल पर्यावरण बल्कि साथ ही खाना पकाने वाले के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है| इससे पहले अनुमान था कि...
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20 साल में 60% एक्वीफर हो जायेंगे खाली फिर कैसे मिलेगा हर खेत को पानी ?
हर खेत को पानी मिले, बेशक यह सोच नेक है लेकिन इस नेक सोच को एक कारगर नीति में कैसे बदलें ? राजधानी दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सभागार में बीते 27 अगस्त को आयोजित नेशनल वाटर कांफ्रेंस में इस मसले पर कई जरुरी सवाल सामने आये. केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, योजना आयोग के पूर्व सदस्य मिहिर शाह, केंद्रीय जल आयोग तथा नीति आयोग के सदस्यों समेत देश की...
More »बाढ़ का गणित : 64 सालों में कब कितना हुआ नुकसान, पढ़े इस न्यूज एलर्ट में
क्या आप जानना चाहते हैं कि बाढ़ या भारी बारिश के कारण देश में हर साल कितने लोगों की जान जाती है, कितने मवेशी मौत का शिकार होते हैं, कितने मोल की फसल मारी जाती है और देश को हर साल कितनी संपत्ति का नुकसान होता है ? आपके इन सवालों के जवाब छुपे हैं केंद्रीय जल आयोग के नये आंकड़ों में. बीते 64 सालों में बाढ़ और भारी बारिश से होने वाले...
More »श्रम के भूमंडलीकरण की जरूरत-- कृष्णप्रताप सिंह
विडंबना देखिए कि भूमंडलीकरण के भरपूर व्याप जाने के बावजूद दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस सरकारी छुट्टी का दिन है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के संस्थापक सदस्य भारत में नहीं. ऐसा क्यों है? दरअसल, 19वीं शताब्दी के नौवें दशक तक मजदूर अत्यंत कम व अनिश्चित मजदूरी पर सोलह-सोलह घंटे काम करने को अभिशप्त थे. सन् 1810 के आसपास ब्रिटेन में उनके सोशलिस्ट संगठन ‘न्यू लेनार्क' ने राबर्ट ओवेन...
More »हार कर भी जीता आंदोलन -- योगेन्द्र यादव
अब नर्मदा बचाओ आंदोलन अपनी लड़ाई के अंतिम दौर में प्रवेश कर चुका है. उधर सरदार सरोवर डैम की अपनी प्रस्तावित ऊंचाई तक पहुंच जाने से कुछ लोगों के लिए एक स्वप्न सरीखी जबकि दूसरों के लिए एक भयावह परियोजना वास्तविकता में बदल गयी है. इस डैम के जल निकास द्वार बंद किये जा चुके हैं, नतीजतन इसके जलाशय में बढ़ता जलस्तर अब उन लोगों के घर-द्वार लील लेने को...
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