मोंगाबे हिंदी, 19 अप्रैल, बिहार के गया जिले में परैया मरांची गांव के चितरंजन कुमार 18-20 टन शहद का उत्पादन करते हैं। ठीक ऐसे ही, इस ही गाँव के निरंजन प्रसाद भी साल में करीब 20 क्विंटल शहद का उत्पादन करते हैं। लेकिन, इतने उत्पादन के बावजूद भी उन्हें शहद उत्पादन में बहुत ज्यादा फायदा नहीं होता है। चितरंजन और निरंजन दोनों ही इसके लिए प्रदेश में शहद के प्रोसेसिंग प्लांट...
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आत्मनिर्भर बन रही हैं केरल की आदिवासी महिलाएँ
बाबा मायाराम, पालक्काड़ “हम जल, जंगल और जंगली जानवरों का संरक्षण करने के साथ-साथ आदिवासियों की आजीविका को भी बचाने की कर रहे हैं। जंगल से हम उतना ही लेते हैं, जितनी जरूरत होती है। जंगली जानवरों के लिये को उनके पसंद के फल, फूल, पत्ते और कंद छोड़ देते हैं; जिससे वे भी जिये और जंगल की जैव-विविधता भी बनी रहे।” यह मंजू वासुदेवन थीं, केरल के त्रिचूर जिले में ‘फॉरेस्ट...
More »ओड़िशा के कंधमाल में कई परिवारों का पेट पालता है ये मुर्गा
गाँव कनेक्शन, 20 जून ओड़िशा के कंधमाल के सिरुबल्ली गाँव की कैफुला को इंतज़ार है अपने कड़कनाथ के वज़न बढ़ने का। बच्चों की तरह उसकी सेवा की है। अब वो बड़ा होकर उनका सहारा बनेगा। सिर्फ ढाई किलो भी अगर वज़न हो गया तो 700 रुपए तक वो कैफुला को अपने दम पर दिला देगा। जी हाँ, ये कड़कनाथ कोई और नहीं बल्कि एक मुर्गा है। कोंध जनजाति की कैफुला ने...
More »लगातार बढ़ रही हैं जंगलों में आग की घटनाएं!
जंगलों में लगने वाली आग केवल संयुक्त राज्य अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया, 2020), ब्राज़ील (अमेज़ॅन वन, 2019-2020) या ऑस्ट्रेलिया (2019-20) जैसे देशों तक ही सीमित नहीं है. हर साल भारत के कई राज्यों के जंगल भी आग की चपेट में आते हैं. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि हाल के महीनों में उड़ीसा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जंगल में आग लगी है. इस...
More »झज्जर, हरियाणा में रहने वाले जगपाल सिंह फोगाट और उनकी पत्नी, मुकेश देवी मधुमक्खी पालन और शहद की प्रोसेसिंग कर ‘नेचर फ्रेश’ के नाम से ग्राहकों तक पहुँचाते हैं।
-द बेटर इंडिया, लोगों को आज सामान्य खेती में कोई खास भविष्य नजर नहीं आ रहा है। इसलिए, बहुत से किसान परिवार खेती छोड़कर दूसरे रोजगार तलाश रहे हैं। लेकिन वहीं कुछ ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने खेती से जुड़े दूसरे विकल्पों में सफलता तलाशी है। इनका मानना है कि जब देश के बाकी क्षेत्रों में लगातार बदलाव हो रहे हैं तो कृषि क्षेत्र क्यों पीछे रहे? कृषि को भी आधुनिक...
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