द थर्ड पोल, 18 अक्टूबर इस साल 25 मई को जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर की डल झील में बड़ी संख्या में मरी हुई मछलियां तैरती हुई पाई गईं। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक स्थानीय निवासी मरी हुई मछलियों से भरी झील के किनारे खड़ा होकर कहता है: “शहर के कई हिस्सों का सीवेज सीधे झील में जाता है। पानी की बदबू पर्यटकों के जेहन में झील की...
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जम्मू के जिलों में बढ़ते तापमान से स्थानीय जनजातियों की आजीविका को खतरा
मोंगाबे हिंदी, 05 सितम्बर जम्मू यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग की एक रिसर्च टीम ने जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर जम्मू और कश्मीर में जम्मू प्रांत के 10 जिलों की रैंकिंग की। उन्होंने जम्मू प्रांत में बारिश और तापमान जैसे जलवायु परिवर्तन के जोखिम की सीमा का मूल्यांकन करने के लिए, श्रीनगर के भारत मौसम विज्ञान विभाग से मदद ली। टीम ने तीन दशकों में मौसम केंद्रों से...
More »गुरेज़: पट्टू बुनकरों की रेशा-रेशा बिखरती ज़िंदगी
पारी हिंदी, 28 अगस्त अपना आख़िरी पट्टू बुने हुए अब्दुल कुमार मागरे को कोई 30 साल हो गए हैं. वह कश्मीर की भयानक सर्दियों - जब तापमान -20 डिग्री से भी नीचे चला जाता है - से बचाव करने के लिए मशहूर इस ऊनी कपड़े को बुनने वाले कुछ आख़िरी बचे हुए बुनकरों में एक हैं. अब्दुल (82) याद करते हुए कहते हैं, “मैं एक दिन में तक़रीबन 11 मीटर कपड़े बुन...
More »‘दिन-रात मेहनत के बाद भी मेरी आमदनी न के बराबर है’
पारी, 20 जुलाई एक सामान्य आकार के पश्मीना शॉल के लिए सूत कातने में फ़हमीदा बानो को एक महीने लग जाते हैं. चांगथांगी बकरियों से मिलने वाले मुलायम और बारीक ऊन को अलग कर उनकी कताई करना कड़ी मेहनत और सफ़ाई का काम है. क़रीब 50 साल की ये कारीगर बताती हैं कि महीने भर की मेहनत के बदले में उन्हें बमुश्किल 1,000 रुपए मिलते हैं. “अगर मैं लगातार काम करूं,...
More »सिकुड़ रही कश्मीर घाटी की झीलें, इंसानी हस्तक्षेप के चलते पानी की गुणवत्ता में भी आ रही गिरावट
डाउन टू अर्थ, 21 जून कश्मीर घाटी में मौजूद झीलें पिछले कुछ वर्षों में तेजी से सिकुड़ रहीं हैं। साथ ही इन झीलों में मौजूद पानी की गुणवत्ता भी तेजी से गिर रही है। यह जानकारी नासा अर्थ ऑब्जर्वेटरी द्वारा साझा की गई रिपोर्ट में सामने आई है। इन झीलों में कश्मीर को दो बेहद प्रसिद्ध झीलें डल और वुलर शामिल हैं। यह झीलें हिमालय के ऊंचे पहाड़ों से घिरी हैं...
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