समाचार माध्यमों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक ‘राजकोषीय संघवाद’ का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024–25 ने इस चर्चा को और बढ़ावा दिया है। आँकड़े बता रहे हैं कि वितरण योग्य राशि (डिविजबल पूल) के आकार में कमी आ रही है। पिछले कई वर्षों से वित्त आयोगों की सिफारिशों को नज़रन्दाज किया जा रहा है। इस लेख में ‘राजकोषीय संघवाद’...
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पंजाब ने पैदल चलने वालों को प्राथमिकता देने के लिए लागू की नीति
मोंगाबे हिंदी, 07 दिसम्बर पंजाब ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत राइट टू वॉक को इसी साल मई के महीने में लागू किया है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में साल 2010 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी और राज्य की सड़कों पर चलने वाले पैदल लोगों की सुरक्षा की मांग की गई थी। आदेश जारी करने वाले पंजाब के मुख्य सचिव ने मोंगाबे-इंडिया को...
More »विचार: भारत में पानी मिलने की व्यवस्था में जाति की भूमिका को नज़रअंदाज़ किया जाता है
द थर्ड पोल, 24 नवम्बर इस साल स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राजस्थान के जालोर जिले में नौ वर्षीय दलित बच्चे इंद्र मेघवाल की उसके ही एक शिक्षक, जो कि ‘उच्च जाति’ से ताल्लुक रखते हैं, ने पीटकर हत्या कर दी। इंद्र मेघवाल की हत्या की वजह यह थी कि उसने अपने उच्च जाति के शिक्षक के लिए रखे बर्तन से पानी पी लिया था। इंद्र मेघवाल की हत्या ऐसी...
More »वन (संरक्षण) संशोधन बिल-2023 से उपजी बहस का लेखाजोखा
2 अगस्त को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 पारित हो गया। यह बिल वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करेगा। इस बिल को 2023 के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था। तब इस बिल को लोकसभा अध्यक्ष ने ‘संयुक्त संसदीय समिति’ के पास भेज दिया था। समिति ने मूल मसौदे को यथावत रखा; उसमें किसी भी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की। लेकिन,...
More »आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध ?
"यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। आप मुझे बताइये, एक घर में, परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? कभी भी चल पाएगा? समर्थकों की ओर से जवाब आता है नहीं। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। हमें याद रखना है कि भारत के...
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