समाचार माध्यमों से लेकर राजनीतिक गलियारों तक ‘राजकोषीय संघवाद’ का मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2024–25 ने इस चर्चा को और बढ़ावा दिया है। आँकड़े बता रहे हैं कि वितरण योग्य राशि (डिविजबल पूल) के आकार में कमी आ रही है। पिछले कई वर्षों से वित्त आयोगों की सिफारिशों को नज़रन्दाज किया जा रहा है। इस लेख में ‘राजकोषीय संघवाद’...
More »SEARCH RESULT
खनन की आय की वजह से बाघ संरक्षण से पीछे हट रही है छत्तीसगढ़ सरकार?
मोंगाबे हिंदी, 25 सितम्बर छत्तीसगढ़ में बाघों की लगातार कम होती संख्या के बीच, राज्य सरकार ने अपने दो टाइगर रिज़र्व को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। बाघों का घर कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के कान्हा-किसली से लगे भोरमदेव अभयारण्य पर राज्य सरकार ने पहले ही विराम लगा दिया था। अब कोयला खदान के नाम पर, राज्य सरकार ने गुरुघासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिज़र्व को भी अटका दिया है। पिछले...
More »वन (संरक्षण) संशोधन बिल-2023 से उपजी बहस का लेखाजोखा
2 अगस्त को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी वन (संरक्षण) संशोधन बिल, 2023 पारित हो गया। यह बिल वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करेगा। इस बिल को 2023 के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया था। तब इस बिल को लोकसभा अध्यक्ष ने ‘संयुक्त संसदीय समिति’ के पास भेज दिया था। समिति ने मूल मसौदे को यथावत रखा; उसमें किसी भी तरह के बदलाव की सिफारिश नहीं की। लेकिन,...
More »राज्य वित्त आयोग की खराब हालत का विकेंद्रीकरण प्रक्रिया पर असर
मोंगाबे हिंदी, 30 मई ठीक 30 साल पहले भारत ने शासन का विकेंद्रीकरण करना शुरू किया और संविधान में संशोधनों के जरिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्थानीय निकायों को सशक्त बनाया गया। इस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, राज्यों के लिए राज्य वित्त आयोग गठन करने का एक आदेश भी जारी किया गया था। आयोग का काम हर पांच साल में स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना...
More »गरीबी और असमानता
[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
More »